Sunday, May 7, 2017

जानिए क्यों जेईई मेन्स के टॉपर कभी भी नहीं पाते हैं एडवांस में अव्वल

जेईई मेन्स का रिजल्ट आ चुका है और इस महीने की 21 तारीख को आईआईटी में प्रवेश के लिए जेईई एडवांस होने वाला है। 2013 में मानव संसाधन मंत्रालय ने एआईईईई को खत्म करके एनआईटी प्लस सिस्टम के लिए
जेईई मेन्स और आईआईटी में दाखिले के लिए एडवांस शुरू किया था। इस परीक्षा के इतिहास में अब तक मेन्स का टॉपर एडवांस में टाॅप नहीं कर सका है। इस साल उदयपुर के कल्पित वीरवाल ने अविश्वसनीय 360 में से 360 स्कोर हासिल करके इस रिकाॅर्ड को तोड़ने की उम्मीद जगा दी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भास्कर ने जाना कि आखिर किन कारणों से जेईई मेन्स में पिछड़ने के बावजूद जेईई एडवांस में छात्र टॉप कर लेते हैं। वहीं मेन्स के टॉपर एडवांस में जाकर क्यों पीछे हो जाते हैं। हालांकि सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार कहते हैं, मेन्स और एडवांस में रैंक का अंतर होना स्वाभाविक है, क्योंकि दोनों परीक्षाओं का पैटर्न और स्टूडेंट्स की तैयारी अलग-अलग तीन तरीके से होती है। जेईई मेन्स में स्पीड और एक्यूरेसी का ध्यान रखा जाता है। 
इस परीक्षा में सिलेबस से ही सवाल पूछे जाते हैं, जबकि एडवांस में स्टूडेंट्स की इनोवेटिव स्किल्स को जांचा जाता है। यही कारण है कि इंटरनेशनल मैथ्स ओलिंपियाड में आईआईटी टॉपर्स अच्छा परफॉर्म करते हैं। 
दोनोंपरीक्षाओं के चार बड़े अंतर:
  1. पैटर्न: जेईई मेन्स में तय है कि 360 नंबर का पेपर होगा और 90 सवाल पूछे जाएंगे। जेईई एडवांस का पैटर्न तय नहीं होता। साल 2015 में पेपर 504 नंबर का आया था, वहीं पिछले साल का पेपर 372 अंक का ही था। 2014 में 360 नंबर का पेपर था। 
  2. कंडक्टिंग बॉडी: जेईई मेन्स को सीबीएसई की मेन्स यूनिट करवाती है। वहीं एडवांस को कराने का जिम्मा आईआईटी के किसी एक संस्थान के पास रहता है। यहां हर साल यह संस्थान बदल जाता है। यह तय है कि आईआईटी का पेपर सेट करने का स्टैंडर्ड सीबीएसई से बेहतर और मुश्किल होगा। 
  3. निगेटिव मार्किंग: मेन्स में यह निश्चित है कि गलत सवाल करने पर एक नंबर काटा जाएगा, लेकिन एडवांस में अलग सिस्टम है। यहां किसी गलत सवाल पर एक नंबर काटा जाता है, तो कहीं गलती पर दो नंबर भी काटे जा सकते हैं। 
  4. सवाल: मेन्स के अधिकतर सवालों का स्तर आसान होता है। हर सवाल के चार विकल्प में से एक सही होता है। इसके उलट एडवांस में अधिकांश सवालों का स्तर मुश्किल होता है और सिंगल आंसर, टू आंसर और मल्टीपल आंसर भी हो सकते हैं। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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