जाट आरक्षण की मांग को लेकर हिंसक हुए आंदोलन की जांच के लिए दो दिन तक रोहतक में रहा जांच आयोग भले ही अपनी रिपोर्ट को 45 दिन में सरकार के सामने पेश करे, लेकिन जिले के अफसरों का कच्चा चिट्ठा तैयार कर लिया है। पुलिस महानिदेशक अपराध ने चंडीगढ़ पहुंचकर प्रमुख गृह सचिव को मौखिक
हालात बयां किए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।जिले की जनता की तरफ से आई रिपोर्ट के आधार पर कच्चा चिट्ठा तैयार किया गया है। अब अफसरों को लिखित में पक्ष रखना है। सरकार ने हिंसा की जांच के लिए जांच आयोग का गठन किया है। इसमें उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड डीजीपी प्रकाश सिंह को चेयरमैन बनाया गया। जिले में वह दो दिन रहे। पहले दिन उन्होंने उन घटनास्थलों का दौरा किया, जहां पर अधिक नुकसान हुआ था। उसके बाद उन्होंने कैनाल गेस्ट हाउस में उन लोगों को बुलाया, जिनके पास हिंसा से संबंधित सबूत थे। शनिवार शाम तक लोगों ने रेस्ट हाउस में बयान दर्ज कराए। इसके बाद देर रात जांच आयोग के चेयरमैन दिल्ली चले गए और पुलिस महानिदेशक अपराध केपी सिंह चंडीगढ़ के लिए निकल गए थे। रोहतक में तैनात अफसर की मानें तो टीम में शामिल पुलिस महानिदेशक अपराध ने सरकार को मौखिक रिपोर्ट दे दी है।
सूत्रों की मानें तो आयोग ने खुफिया विभाग को भी फेल बताया है। जाट कॉलेज में चली लाठियां, आइजी आफिस में चली गोलियां, एमडीयू के सामने फूंकी गई सरकारी गाड़ी, कोर्ट के बाहर मारपीट, अशोक चौक पर फूंकी बाइक, छोटूराम चौक पर जलाई गई बाइक को मुख्य प्वाइंटों में लिया गया है। खुफिया विभाग ने रिपोर्ट में बताया कि उन्होंने पहले ही अलर्ट कर दिया था।
जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव डीएस ढेसी, गृह सचिव पीके दास और पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंघल को तलब किया है। आयोग ने मुख्य सचिव से पूछा कि जाट आंदोलन के दौरान राज्य में हिंसा क्यों हुई और उसे सरकार क्यों नहीं रोक पाई। हिंसा में भागीदार बने अफसरों पर भी आयोग की टेढ़ी निगाह है। आयोग ने टोलफ्री नंबर जारी करते हुए संपत्ति और जानमाल की सुरक्षा नहीं कर पाने वाले अधिकारियों के बारे में रिपोर्ट मांगी है। 1आयोग पहले ही उपद्रव की स्वयं जांच करने का फैसला ले चुका है। दंगों और उसमें अफसरों की भूमिका की जानकारी देने के लिए आयोग ने आम लोगों के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-2064 जारी किया है। इस नंबर पर सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक सूचनाएं दी जा सकेंगी। आयोग ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रधान सचिव अथवा अतिरिक्त प्रधान सचिव से भी जवाब तलब किया है। इन सभी अधिकारियों को आंदोलन में हुई भारी तबाही एवं बिगड़ी कानून व्यवस्था के संबंध में जवाब देने हेतु 18 अप्रैल के लिए नोटिस जारी हुआ है। आयोग के अध्यक्ष एसके जैन ने बताया कि हिंंसा के बारे में हर तरह की जानकारी व नुकसान की पूरी डिटेल मांगी गई है।
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साभार: जागरण समाचार
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