दशकों से घर में रखे सोने पर भी अब ब्याज कमाने
का मौका मिलेगा। सरकार इसके लिए शीघ्र ही दिशानिर्देश को अंतिम रूप देने
वाली है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल के बजट में इस योजना की घोषणा
की थी। वित्त मंत्रालय ने गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम के लिए दिशानिर्देश का
मसौदा मंगलवार को जारी कर दिया ताकि
इस पर आम जनता एवं भागीदारों की
प्रतिक्रिया मिल सके। प्रतिक्रिया आने के बाद दिशानिर्देश को अंतिम रूप
दिया जाएगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी
मसौदे के अनुसार इस स्वर्ण योजना के तहत मिली राशि पर न तो आयकर लगेगा और न
ही कैपिटल गेन टैक्स। योजना के तहत कोई व्यक्ति, हिन्दू अविभाजित परिवार,
मंदिर या अन्य धार्मिक संस्थान का ट्रस्ट आदि बैंकों में सोना जमा करा
सकेगा। सोना जमा कराने वाले व्यक्ति को सोने के बदले एक स्वर्ण बांड दे
दिया जाएगा, जिस पर ब्याज भी मिलेगा। स्वर्ण बांड पर ब्याज की दरें तय करने
का अधिकार बैंकों को ही दिया जाएगा। मंत्रालय ने इस पर दो जून 2015 तक
प्रतिक्रिया मंगाई है। जमा कराने वाले सोने का वजन कम से कम 30 ग्राम होना
चाहिए। मसौदे के मुताबिक योजना के तहत कम से कम एक साल तक सोना बैंक के पास
रखना होगा। इससे जब कोई व्यक्ति सोना वापस लेना चाहेगा तो उसे या तो सोना
या फिर नकद, दोनों लेने का विकल्प मिलेेगा लेकिन उसका मूल्य सोने में ही
लगाया जाएगा। इसे एक उदाहरण के जरिये समझाया गया है। मान
लिया जाए कि किसी व्यक्ति ने इस योजना के तहत 100 ग्राम सोना बैंक में रखा
है और इस पर ब्याज की दर 10 फीसदी सालाना है। यदि सोना जमा करने वाला
व्यक्ति एक साल बाद बांड के बदले सोना लेना चाहता है तो उसे 110 ग्राम सोना
दे दिया जाएगा। जमाकर्ता चाहे तो 110 ग्राम सोना ले ले या फिर 110 ग्राम
सोने का बाजार मूल्य। बैंक को अधिकार होगा कि इस सोने को बेच कर वह विदेशी
मुद्रा अर्जित करे और इसका उपयोग आयातक और निर्यातक को ऋण देने में करे। - योजना के तहत मिली राशि पर नहीं लगेगा आयकर और कैपिटल गेन टैक्स
- कम से कम एक साल की अवधि के लिए बैंक के पास रखना होगा सोना
- कम से कम 30 ग्राम सोना किया जा सकेगा जमा
- घरों और मंदिरों में पड़ा है 60 लाख करोड़ रुपये का 20,000 टन सोना
इतना
सोना होते हुए भी देश में हर साल करीब 800 से 1,000 टन सोना आयात होता है।
तभी तो यह कच्चे तेल के बाद दूसरी सबसे बड़ी कमोडिटी बन कर उभरा है, जिसकी
वजह से भारत का व्यापार संतुलन और भुगतान संतुलन बुरी तरह प्रभावित हो रहा
है। सरकार चाहती है कि पुराने सोने को निकाल कर ही घरेलू मांग पूरी की जाए
ताकि नए सोने का आयात न हो।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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