पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में मंगलवार को वर्ष 2002 में ओमप्रकाश चौटाला
सरकार में हुई 67 एचसीएस (हरियाणा लोक सेवा आयोग) अधिकारियों की भर्ती का
पूरा रिकॉर्ड पेश किया गया। जस्टिस एसएस सेंरो व जस्टिस रामेंद्र जैन की
खंडपीठ एक चयनित उम्मीदवार जगदीप की उत्तर पुस्तिका देख हैरान रह गई
क्योंकि एक पेपर में उसने मैप अटैच ही नहीं किया लेकिन इसके अंक दे दिए गए।
ऐसे ही कई सवाल के जवाब न देने पर
भी अंक दिए गए हैं। जगदीप की तरफ से
कोर्ट को बताया गया कि उसने मैप अटैच किया था, लेकिन वो कहीं गुम हो गया
होगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि उसने इसकी एफआइआर दर्ज क्यों नहीं कराई।
खंडपीठ ने अगली सुनवाई पर एचसीएस अधिकारी सरिता मलिक व सुरेंद्र की उत्तर
पुस्तिका जांच करने का फैसला लेते हुए सुनवाई 10 जुलाई तक स्थगित कर दी। गौरतलब है कि पूर्व विधायक करन सिंह दलाल ने हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा की गई
इस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली होने का आरोप लगाते हुए हाई कोर्ट में
याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा गया था कि लिखित परीक्षा में कम अंक
होने के बावजूद चहेतों को इंटरव्यू में ज्यादा अंक देकर चयनित कर लिया गया। चौटाला के तत्कालीन राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बडशामी के बेटे रणधीर सिंह
ने लिखित परीक्षा में चार प्रश्नों के उत्तर दिए थे लेकिन उन्हें पांच
प्रश्नों के अंक दिए गए। इसी तरह आयोग के तत्कालीन चेयरमैन केसी बांगड़ के
रिश्तेदार को भी अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
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साभार: जागरण समाचार
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