हरियाणा के सरकारी विभागों में कर्मचारियों की भारी कमी बनी हुई है। हर साल
सैकड़ों कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं, लेकिन उनके स्थान पर नई भर्ती नहीं
की जा रही है। कर्मचारियों की रिटायरमेंट आयु घटाने से हालात अधिक चिंताजनक
बन गए हैं। इससे न केवल कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया, बल्कि उनकी
काम करने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है। प्रदेश में 31 मार्च को करीब
1600 कर्मचारी रिटायर हुए हैं। रिटायरमेंट की आयु 60 साल से घटाकर 58 साल
करने के फैसले के बाद
अक्टूबर से दिसंबर 2014 के बीच 5700 कर्मचारी रिटायर
हुए थे। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में चुनौती समेत कई तरह के विवादों की
वजह से 15 हजार भर्तियां अभी लंबित हैं। हर साल कर्मचारियों की रिटायरमेंट
तो हो रही है, लेकिन नई भर्ती प्रक्रिया अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग का गठन हो जाने के बावजूद अभी तक भर्ती
प्रक्रिया को लेकर रुख साफ नहीं किया गया है। पिछली हुड्डा सरकार ने लोकसभा
और विधानसभा चुनाव की वजह से रिक्तियां तो खूब निकाली, लेकिन चुनाव आचार
संहिता की आड़ में न तो नई भर्तियां की गई और न ही लंबित रिजल्ट घोषित किए
गए। नई मनोहर सरकार ने पिछली पूरी भर्ती प्रक्रिया ही रद कर दी, जिस कारण
करीब 40 हजार अभ्यर्थियों को अब नए सिरे से अपनी क्षमता साबित करनी पड़ेगी। प्रदेश में करीब डेढ़ लाख कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। इस समय 2.90
लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं। राज्य सरकार का कोई विभाग ऐसा नहीं है,
जिसमें कर्मचारियों की कमी नहीं है। सबसे अधिक कमी शिक्षा विभाग, बिजली,
पुलिस, पीडब्ल्यूडी और सिंचाई विभाग में है। शिक्षा विभाग में करीब 40 हजार
और बिजली विभाग में 30 हजार कर्मचारियों की कमी है। पीडब्ल्यूडी और सिंचाई
विभाग में 22 हजार कर्मचारियों की कमी चल रही है। पुलिस विभाग में 20 हजार
कर्मचारियों की जरूरत है।
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साभार: जागरण समाचार
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