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इनकम टैक्स वह टैक्स होता है
जो आप अपनी निजी आमदनी के बदले चुकाते हैं। इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन
139 के अनुसार हर उस व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना
अनिवार्य है जिसकी आमदनी इनकम टैक्स से छूट की मौजूदा सीमा से अधिक है।
इसके अलावा किसी व्यक्ति को किसी मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी या प्रतिनिधि
के तौर पर भी टैक्स रिटर्न दाखिल करना पड़ सकता है। यहां व्यक्ति का मतलब
है कोई इंडिविजुअल या कोई हिंदू अविभाजित परिवार या व्यक्तियों का संगठन।
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के फायदे: जब कोई व्यक्ति हर साल अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करता है तो वह
टैक्स डिपार्टमेंट के साथ अपने फाइनेंशियल रिकॉर्ड बनाने में सफल होता है।
उसके इस फाइनेंशियल रिकॉर्ड (टैक्स रिकॉर्ड) पर वित्तीय संस्थाओं की नजर
रहती है और वे इसका इस्तेमाल करती हैं। मसलन जब कोई व्यक्ति होम लोन,
पर्सनल लोन, वैकिल लोन आदि के लिए आवेदन करता है, तो उस समय इस रिकॉर्ड का
फायदा होता है। इसके अलावा अगर कोई व्यक्ति वीजा आदि के लिए आवेदन करता है,
तो उस समय भी यह मददगार होता है।
इनकम टैक्स रिटर्न न दाखिल करने के नुकसान: जिस व्यक्ति को कायदन इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना चाहिए, अगर वह
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करता, तो उस आकलन वर्ष के दौरान उस पर 5000
रुपए का आर्थिक दंड लगाया जाता है। टैक्स रिटर्न दाखिल न करने या देर से
दाखिल करने की स्थिति में सेक्शन 234ए, 234बी और 234सी के तहत उस व्यक्ति
पर ब्याज भी लगाया जाता है। अगर अदा किया जाने वाला टैक्स 3,000 रुपए से
अधिक है, तो आप पर केस भी दर्ज किया जा सकता है। आर्थिक दंड के अलावा आपको
तीन महीने से तीन सालों की सजा भी हो सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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