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हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने नाफरमानी
दिखाने वाले प्रदेश के 46 स्कूलों के रोल नंबर रोकने का निर्णय लिया है। इन
स्कूलों में प्राइवेट के अलावा सरकारी स्कूल भी शामिल हैं। बोर्ड के इस
कड़े फैसले के बाद स्कूलों में हड़कंप मच गया। स्टाफ
स्टेटमेंट न भेजने वाले स्कूलों को ‘सबक’ सिखाने के लिए शिक्षा बोर्ड ने
यह कदम
उठाया है। सूत्र बताते हैं कि शिक्षा बोर्ड ने प्रदेश के सभी सरकारी
व प्राइवेट स्कूलों से पिछले साल दिसंबर महीने तक अपनी स्टाफ स्टेटमेंट
भेजने को कहा था। डेडलाइन बीत जाने के बाद बोर्ड की ओर से टेलीफोनिक्ली भी
स्मरण कराया गया। इसके बावजूद 46 स्कूलों ने अपनी स्टाफ स्टेटमेंट नहीं
भेजी। अंतत: बोर्ड ने इन स्कूलों के रोल नंबर रोकने का निर्णय ले लिया।
सूत्र बतातें हैं कि इनमें ज्यादातर प्राइवेट स्कूल हैं। इस
कड़े निर्णय के बाद स्कूलों में खलबली मच गई। यह लापरवाही स्कूलों पर भारी
भी पड़ सकती है, क्योंकि परीक्षाओं के केवल दो सप्ताह का समय बचा है। मोटे
अनुमान के मुताबिक 18-20 हजार बच्चों से जुड़ा यह मसला है। बच्चों के
भविष्य के मद्देनजर बेशक, कोई न कोई रास्ता निकल आए, लेकिन इतना तय है कि
जब कोई रास्ता नहीं निकल पाएगा, तब तक स्कूल, बच्चे और अभिभावकों की स्थिति
हौंच-पोच जरूर रहेगी।
इसलिए जरूरी है स्टाफ स्टेटमेंट: परीक्षाओं
के कुशल संचालन के लिए स्टाफ स्टेटमेंट महत्वपूर्ण कागजात है। स्टाफ
स्टेटमेंट की जानकारी के आधार पर ही शिक्षा बोर्ड अपनी रणनीति बनाता है।
स्टाफ स्टेटमेंट में हर स्कूल को यह बताना होता है कि स्कूल में टीचर कितने
हैं। इनमें महिला शिक्षक कितने हैं और पुरुष कितने। अध्यापकों को अनुभव
कितना है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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