Saturday, February 28, 2015

भगवदगीता को सिलेबस में शामिल करने में ये आएंगी दिक्कतें

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हरियाणा सरकार की ओर से स्कूली पाठ्यक्रम में भगवद्गीता को शामिल करने की योजना अब केवल श्लोकों तक सिमट कर रह गई है। इस साल नए शैक्षणिक सत्र से स्कूलों में इसे लागू करने के लिए सरकार ने स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एससीईआरटी) को पत्र लिखकर कहा है कि वह भगवद्गीता के उन श्लोकों की जानकारी जुटाए, जिन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही यह तय करने को भी कहा है कि गीता के श्लोकों को किस कक्षा से पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। दरअसल, भगवद्गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का ऐलान कर चुकी भाजपा सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर पूरे ग्रंथ को पाठ्यक्रम
का हिस्सा बनाया गया तो आने वाले समय में कुरान, बाइबल, श्री गुरु ग्रंथ साहिब को पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग उठ सकती है। दूसरे विपक्ष जोकि पहले से शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगा रहा है, उसे मौका मिल जाएगा। इनके अलावा सरकार की एक उलझन यह भी है कि प्रदेश के स्कूलों में अभी संस्कृत भाषा का चलन नहीं है। ऐसे में भगवद्गीता के संस्कृत में लिखे श्लोक बच्चों के लिए कठिनाई ही पैदा करेंगे। इसी के चलते न तो पूरा ग्रंथ पाठ्यक्रम में लिया जा रहा है और श्लोक भी केवल वही शामिल किए जाएंगे, जिनका हिंदी और अंग्रेजी में आसानी से अनुवाद हो सके और बच्चों को समझ आ सकें। राज्य सरकार ने एससीईआरटी को भेजे पत्र में ऐसे ही श्लोकों की जानकारी एकत्र करने को कहा है। उच्च शिक्षा महानिदेशक टीसी गुप्ता का कहना है कि यह एससीईआरटी पर निर्भर करता है कि किस कक्षा से भगवद्गीता को शामिल करना है। इसके साथ ही सरकार ने शिक्षाविद् दीनानाथ बतरा की अध्यक्षता में शैक्षणिक सलाहकार समिति का गठन भी कर दिया है, जो पाठ्यक्रम में भगवद्गीता को शामिल किए जाने के बारे में सरकार को सुझाव देगी। इस समिति का गठन प्रदेश के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा द्वारा किया गया है। हालांकि, शिक्षा मंत्री शर्मा काफी पहले से ऐलान कर चुके हैं कि गीता को पांचवीं से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा, लेकिन एससीईआरटी को भेजे पत्र के बाद कक्षा पर निर्णय लिया जाना अभी बाकी है।
पाठ्यक्रम बदलने के बाद छपेंगी पुस्तकें: सूत्रों के अनुसार चंडीगढ़ में पांच दिन पहले हुए हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने शैक्षणिक सत्र 2015-16 के लिए स्कूली पुस्तकें छपवाने का टेंडर इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि अगर पुस्तकें छापने के टेंडर को मंजूरी दे दी जाती तो इस साल पाठ्यक्रम में भगवद्गीता के श्लोकों को शामिल करना कठिन हो जाता। विभाग ने दसवीं और बारहवीं की पांच लाख पुस्तकें प्रकाशित करानी है। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों के सुझाव लेकर बतरा समिति अपनी सिफारिशें तैयार करेगी। उसके बाद ही पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। वही श्लोक लिए जाएंगे जो हिंदी-अंग्रेजी में अनुवाद हो सकें। 
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साभार: अमर उजाला समाचार
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