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टैक्स बचाने की फिक्र तो सभी को होती है, लेकिन जब बात टैक्स बचाने के
तरीकों की आती है, तो आपको कुछ ही बातें याद रहती हैं। मसलन, आप सेक्शन
80सी के तहत 1.5 लाख रुपए बचाने की सोचते हैं। इसके लिए आप पीपीएफ, ईएलएसएस
आदि में निवेश करने पर विचार करते हैं। या फिर आप सेक्शन 24 के तहत होम
लोन के ब्याज की अदायगी पर मिलने वाली टैक्स छूट के बारे में सोचते हैं,
लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसे प्रावधान हैं, जिन पर
टैक्स छूट मिलती है। आइए जानते हैं ऐसे ही टैक्स सेविंग के 4 प्रावधानों के बारे में: - माता-पिता को किराया दीजिए, एचआरए एक्जेम्पशन का फायदा उठाइए: अगर आप अपने माता-पिता के साथ रहते हैं, तो आप उनको किराया दे कर हाउसिंग रेंट एलाउंस एक्जेम्पशन का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए जरूरी यह है कि जिस प्रॉपर्टी में आप रह रहे हैं, वह आपके माता-पिता के नाम से ही रजिस्टर्ड हो। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने माता-पिता के साथ एक रेंट एग्रिमेंट कर लें और हर महीने रेंट अदा करें। बेहतर यह होगा कि आप चेक के माध्यम से रेंट अदा करें।
- डिसएबिलिटी पर मिलता है टैक्स डिडक्शन: इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80U के अनुसार, यदि टैक्सपेयर किसी अक्षमता का शिकार है, तो वह 50,000 रुपए के टैक्स डिडक्शन का हकदार है। यानी उसकी टैक्सेबल इनकम में से 50,000 रुपए कम कर दिए जाते हैं। यह छूट लेने के लिए जरूरी है कि यह अक्षमता कम से कम 40 फीसदी हो। इसके अलावा, यदि यह अक्षमता 80 फीसदी से अधिक हो, तो ऐसी स्थिति में उसे 1,00,000 रुपए का टैक्स डिडक्शन मिलता है। टैक्स डिपार्टमेंट ने इन अक्षमताओं की जो सूची बना रखी है, उसमें कुष्ठ रोग (लेप्रोसी), ब्लाइंडनेस, हियरिंग डिसएबिलिटी और मेंटल इलनेस आदि शामिल हैं।
- राजनीतिक दल को दीजिए दान, पाइए टैक्स से छूट: शायद आपको पता न हो, किसी राजनीतिक दल को दिए गए दान पर भी आप टैक्स से छूट हासिल कर सकते हैं। इसके लिए कोई ऊपरी सीमा नहीं है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80जीजीसी के अनुसार, इस छूट का दावा तभी किया जा सकता है, जब आपने यह पैसा पार्टी के फंड में दिया हो, किसी व्यक्ति को नहीं।
- एजुकेशन लोन के ब्याज पर टैक्स से छूट: उच्च शिक्षा की खातिर लिए गए एजुकेशन लोन के ब्याज की अदायगी पर भी टैक्स डिडक्शन का लाभ हासिल होता है। इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80ई के तहत इस डिडक्शन का लाभ आप स्वयं, अपनी पत्नी या पति और अपने बच्चों की खातिर लिए गए एजुकेशन लोन पर ले सकते हैं। आप इस प्रावधान का लाभ लगातार आठ सालों तक ले सकते हैं। इसके तहत आप जितना भी ब्याज देते हैं, उस पूरी राशि पर टैक्स से छूट मिलती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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