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इन दिनों छात्र-छात्राएं परीक्षाओं की तैयारियों में संजीदगी से व्यस्त
हैं। अभिभावक भी चाहते हैं कि उनके बेटे-बेटियां इम्तहान
में उम्दा प्रदर्शन करें, लेकिन ऐसा सोचने मात्र से छात्र-छात्रओं का
प्रदर्शन बेहतर नहीं हो सकता। बावजूद इसके, कुछ सुझावों पर अमल कर छात्र
इम्तहान में बेहतर नहीं बल्कि बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
माता पिता ध्यान रखें:
- बच्चों के साथ उनकी दिनचर्या में सहायता करें ताकि टाइम टेबल तैयार करने में मदद मिलेगी।
- यह सुनिश्चित करें कि बच्चे को पौष्टिक भोजन मिले।
- टेलीविजन, फोन व इंटरनेट के उपयोग के लिए दिशानिर्देश बनाएं।
- घर में सौहार्दपूर्ण माहौल रखें और बच्चे को प्रोत्साहित करें। बच्चे के लिए एक आरामदायक अध्ययन कक्ष प्रदान करें।
- मेहमानों को परीक्षा के दौरान न बुलाएं।
अभिभावक ऐसा न करें:
- मनोरंजन की सभी गतिविधियों को बंद करना।
- पिछली विफलताओं और परिणामों के बारे में बात करना।
- बच्चों को यह महसूस कराना कि परीक्षा दुनिया में सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात है।
- अन्य बच्चों के साथ तुलना करना।
- बच्चों की आलोचना करना।
- अपनी चिंता बच्चे पर आरोपित न करें।
- तुलना न करें। परीक्षा के तनाव के कई कारण होते हैं। पहली बात तो यही कि माता-पिता अपने बच्चों से परीक्षा में अंकों के प्रतिशत को लेकर बहुत ज्यादा उम्मीदें संजो लेते हैं। ऐसी उम्मीदें संजोने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन अभिभावकों को यह भी सोचना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे विभिन्न विषयों में दिलचस्पी, उन, प्रतिभा, लगन और समझ अलग-अलग होती है। बच्चों के घर के माहौल का भी उन पढ़ाई-लिखाई पर असर पढ़ता है। याद रखें हर बच्चा अद्वितीय है। इसलिए किसी अन्य बच्चे के साथ उस तुलना न करें।
तनाव का
प्रभाव: परीक्षा के प्रति थोड़ा-सा मानसिक तनाव के बाबत सचेत व जागरूक
करने में सहायक है,लेकिन बहुत अधिक तनाव खराब प्रदर्शन ओर ले जाता है।
समस्या यह है कि परीक्षा के समय भविष्य के प्रति अधिक चिंता करना ठीक नहीं
है। चिंतित होने से मानसिक तनाव बढ़ता है। तनाव से सिरदर्द व शरीर में
दर्द उत्पन्न हो सकता है। इसी तरह नींद और भूख कमी के रूप में भी तनाव के
दुष्परिणाम सामने आते हैं। शरीर में सुस्ती या थकान महसूस हो सकती है।
यहां तक कि चिड़चिड़ापन, एकाग्रता में कमी या भुलक्कड़पन, अत्यधिक चिंता,
नकारात्मक सोच और आत्मविश्वास में कमी भी हो सकती है। हमें वर्तमान पर ध्यान केंद्रित
करने जरूरत है। परीक्षा के दौरान मानसिक तनाव होने के कारण हैं:
- अभिभावकों द्वारा अपने बच्चों से अवास्तविक या अनुचित उम्मीदें संजोना।
- अत्यधिक प्रतियोगिता होना।
- कम आत्मसम्मान व कम आत्मविश्वास।
- दूसरे बच्चों के साथ तुलना करना।
- अंतिम समय में तैयारी करना।
- माता-पिता के विश्वास में कमी।
- माता-पिता के द्वारा दबाव।
सार्थक
सुझाव: परीक्षाओं में उम्दा प्रदर्शन के लिए कुछ बातों पर ध्यान देने जरूरत
है:
- परीक्षा के दौरान एक समय-सारिणी (टाइम टेबल) के अनुसार कार्य करने से सुव्यवस्थित रूप से पढ़ाई होती है। एक सूची बनाएं और फिर उसके अनुसार ही अध्ययन करें। दोहराना (रिवीजन) और लिखने के लिए पर्याप्त समय छोड़ दें।
- सोने के आधा घंटे पहले पढ़ाई न करें। इसी तरह खाना खाने के बाद आधा घंटे तक पढ़ाई न करें।
- लगभग 60 मिनट तक अध्ययन करने के बाद मानसिक थकान को कम करने के लिए 10 से 15 मिनट का ब्रेक लें। ब्रेक के दौरान टेलिविजन देखने और तेज आवाज में संगीत सुनने से बचें। इसके बजाय सैर के लिए जाएं, दोस्तों से बात करें या मधुर संगीत सुनें। ब्रेक लेने से ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलती है और तरोताजगी महसूस होती है।
- यह बहुत जरूरी है कि नकारात्मक बातों को ध्यान में न रखें। सकारात्मक सोच रखें। जैसे मैं अच्छी तरह से पढ़ाई करूंगा।
- आत्मविश्वास बनाए रखें। एकाग्रता ओर ध्यान दें। यह विचार करें कि यह मेरा सबसे अच्छा प्रदर्शन है।
- प्रोटीन और विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और दुग्ध उत्पादों के रूप में सेवन किया जाना चाहिए। वसायुक्त भोजन, कॉफी, चाय और कोल्ड डिंक्स का उपयोग कम मात्र में करें।
- शरीर और मस्तिष्क को अच्छी तरह से कार्य करने के लिए नियमित रूप से प्रतिदिन 7 घंटे नींद जरूरी है।
- सोने से 30 मिनट पहले अध्ययन को बंद करें और तनाव कम करने के लिए इस समय का उपयोग करें। नींद से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। नींद कमी से थकान, एकाग्रता और याददाश्त में कमी हो सकती है।
- ध्यान विचलित होने से बचने और सभी महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखने के लिए टेलीविजन, इंटरनेट और फोनकॉल का कम से कम उपयोग करें।
- तनाव को कम करने के लिए ध्यान व प्राणायाम करें। अपनी आंखें बंद करें, गहरी सांस लें और धीरे-धीरे सांस को छोड़ें। ऐसा करने से दिल और दिमाग को शक्ति मिलती है। ताजी हवा में तेजी से पैदल चलना भी बहुत उपयोगी है।
- प्रार्थना करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। तनाव को कम करने में मदद मिलती हैं। इसलिए प्रार्थना के लिए कुछ समय निकालें।
- आपको किसी विषय को समझने में कठिनाई हो तो, अपने शिक्षक या दोस्त से मदद लें।
- अंतिम समय में अध्ययन करने से बचें। इससे तनाव बढ़ता है।
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साभार: जागरण समाचार
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