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पिछली सरकार के नियम विरुद्ध किए गए कामों को बंद
करने का दावा करने वाले शिक्षा मंत्री अब यूजीसी की गाइडलाइन बदलने को
तैयार हो गए हैं। कुलपतियों की यूजीसी नियमों के विरुद्ध नियुक्तियों से
जुडे़ सवाल पर शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने यहां तक कह दिया कि यूजीसी
की गाइड लाइन कोई वेद वाक्य नहीं है। यदि जरूरत हुई तो गाइड लाइन ही बदल
देंगे। हालांकि यूजीसी की गाइड लाइन बदलने का अधिकार प्रदेश सरकार को नहीं
है, लेकिन शिक्षामंत्री ने केंद्र में भाजपा सरकार होने की बात कहते हुए
यूजीसी को केंद्र के अधीन संस्था बताया। ये बातें शिक्षा मंत्री ने एमडीयू
में लोक कलाओं पर आधारित ‘फागण-15’ और बाबा मस्तनाथ में हुए
कार्यक्रम का
उद्घाटन करने के बाद पत्रकार वार्ता में कही। पिछली
सरकार की ओर से प्रदेश की ज्यादातर यूनिवर्सिटी में कुलपति की नियुक्ति
यूजीसी नियम के विरुद्ध होने के सवाल पर शिक्षा ने कहा, पिछले जमाने से
तुलना मत करिए। वहीं जब उनसे नियम विरुद्ध होने पर कुलपति को हटाए जाने के
बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हम नए एजेंडे और नीति से काम करेंगे।
यूजीसी की गाइड लाइन वेद वाक्य नहीं है। उन्होंने कहा, हमने मानव संसाधन
मंत्री स्मृति ईरानी से बात की है और यूजीसी की गाइड लाइन को समझा है।
यूजीसी केंद्र सरकार केअधीन है और जरूरत पड़ी तो गाइड़ लाइन बदल दी जाएगी।
कुलपतियों की योग्यता के सवाल पर बोले मंत्री: गीता केवल हिंदुत्व नहीं है बोले, यूजीसी की गाइड लाइन कोई वेद वाक्य नहीं है शिक्षा
मंत्री से सवाल किया गया कि पिछली सरकार ने यूनिवर्सिटी में पीवीसी
(प्रो-वीसी) लगाने की घोषणा की थी, क्या यह पी-वीसी लगाए जाएंगे? इस पर
शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब जमाना बदल रहा है। स्कूलों में गीता पढ़ाए जाने
के सवाल पर कहा कि गीता केवल हिंदुत्व नहीं है, यह समाधान है। जब उनसे
पूछा गया कि फिर दूसरे धर्मों के ग्रंथ क्यों नहीं? इस पर उनका कहना था कि
हम धार्मिक शिक्षा देने नहीं जा रहे हैं। राजकीय शैक्षणिक संस्थाओं में आने
वाले गरीब बच्चों को हम भारतीयता पढ़ा रहे हैं, गीता पढ़ा रहे हैं। हम
गांवों में युवाओं को संस्कारवान बनाना चाहते हैं। जेबीटी शिक्षकों को
निकालने के सवाल पर उनका कहना था कि यह सब पिछले सरकार के कुकर्म हैं।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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