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पड़ोसी राज्य दिल्ली में बिजली के दाम आधे हो जाने के बाद हरियाणा सरकार
मुश्किल में फंस गई है। घाटे में चल रहे उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली
निगमों ने मौजूदा दरों में 15 फीसद बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। सरकार यदि
बिजली के रेट बढ़ाती है तो न केवल विपक्ष के हाथ बड़ा मुद्दा लग जाएगा,
बल्कि बिजली की कमी से जूझ रहे लोगों के आक्रोश का सामना भी करना पड़
सकता
है। 1राज्य में पिछले दो साल से बिजली के दाम नहीं बढ़े हैं। पूर्व
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दो साल तक बिजली के दाम नहीं बढ़ाने
का फैसला लेकर वाहवाही लूटी थी। इसकी अवधि 31 मार्च 2015 को पूरी हो रही
है। 1 अप्रैल 2015 से राज्य में बिजली की नई दरें लागू होनी हैं। हरियाणा
विद्युत नियामक आयोग राज्य में बिजली के दाम तय करता है। आर्थिक घाटे और
लाइन लास की मार से पीड़ित राज्य की बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग
से 15 प्रतिशत दाम बढ़ाने का अनुरोध कर रखा है, जिस पर आजकल आयोग द्वारा
सुनवाई की जा रही है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार बिजली के दाम आधे कर चुकी
है। यह स्थिति तब है, जब वहां खुद की बिजली का उत्पादन नहीं होता। राज्य
में करीब साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। बाकी बिजली
का बंदोबस्त दूसरे राज्यों की बिजली कंपनियों से किया जा रहा है। राज्य
सरकार यदि बिजली के दाम बढ़ाती है तो विपक्ष के साथ-साथ आम लोग आंदोलन पर
उतारू हो सकते हैं। दिल्ली में बिजली के आधे दाम उनके आंदोलन की ठोस जमीन
तैयार कर सकते हैं।राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : पड़ोसी राज्य दिल्ली में बिजली
के दाम आधे हो जाने के बाद हरियाणा सरकार मुश्किल में फंस गई है। घाटे में
चल रहे उत्तर एवं दक्षिण हरियाणा बिजली निगमों ने मौजूदा दरों में 15 फीसद
बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। सरकार यदि बिजली के रेट बढ़ाती है तो न केवल
विपक्ष के हाथ बड़ा मुद्दा लग जाएगा, बल्कि बिजली की कमी से जूझ रहे लोगों
के आक्रोश का सामना भी करना पड़ सकता है। 1राज्य में पिछले दो साल से बिजली
के दाम नहीं बढ़े हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दो साल
तक बिजली के दाम नहीं बढ़ाने का फैसला लेकर वाहवाही लूटी थी। इसकी अवधि 31
मार्च 2015 को पूरी हो रही है। 1 अप्रैल 2015 से राज्य में बिजली की नई
दरें लागू होनी हैं। हरियाणा विद्युत नियामक आयोग राज्य में बिजली के दाम
तय करता है। आर्थिक घाटे और लाइन लास की मार से पीड़ित राज्य की बिजली
कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग से 15 प्रतिशत दाम बढ़ाने का अनुरोध कर
रखा है, जिस पर आजकल आयोग द्वारा सुनवाई की जा रही है। दिल्ली की केजरीवाल
सरकार बिजली के दाम आधे कर चुकी है। यह स्थिति तब है, जब वहां खुद की बिजली
का उत्पादन नहीं होता। राज्य में करीब साढ़े तीन हजार मेगावाट बिजली का
उत्पादन हो रहा है। बाकी बिजली का बंदोबस्त दूसरे राज्यों की बिजली
कंपनियों से किया जा रहा है। राज्य सरकार यदि बिजली के दाम बढ़ाती है तो
विपक्ष के साथ-साथ आम लोग आंदोलन पर उतारू हो सकते हैं। दिल्ली में बिजली
के आधे दाम उनके आंदोलन की ठोस जमीन तैयार कर सकते हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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