साभार: जागरण समाचार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पूर्ण बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक में जिस तरह के हंगामे के आसार थे, वैसा कुछ सामने नहीं आया। बैठक में वैसे तो सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विवाद के किसी भी मुद्दे पर दो टूक
फैसला नहीं हुआ, लेकिन हर मुद्दे पर बीच की राह निकालने की कोशिश होती दिखी। सरकार की मांग थी कि आरबीआइ के रिजर्व फंड में उसे ज्यादा हिस्सा मिले, तो इस पर फैसला करने के लिए एक विशेष समिति गठित कर दी गई।
सरकार की दूसरी मांग थी प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के अंकुश से सरकारी क्षेत्र के 11 बैंकों को बाहर निकालने या उसमें ढील देने की, तो इस मामले को आरबीआइ की ही एक आंतरिक समिति को सौंप दिया गया। फंसे कर्ज (एनपीए) से जुड़े नए नियमों के बोझ में दबे छोटे व मझोले उद्योगों को राहत देने के मुद्दे पर आरबीआइ जरूर झुकता दिख रहा है। बैठक की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह करीब नौ घंटे तक चली। आरबीआइ बोर्ड की अगली बैठक 14 दिसंबर, 2018 को बुलाई है जिसमें अन्य मसलों पर विमर्श किया जाएगा।
सहमति से फैसला
बैठक में शामिल सूत्रों का कहना है कि किसी भी मुद्दे को लेकर वोटिंग की नौबत नहीं आई। सभी मुद्दों पर आपसी सहमति से ही फैसले हुए। आरबीआइ में बैंकिंग रेगुलेशन और सुपरविजन का जिम्मा संभाल रहे डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने एक विस्तृत प्रजेंटेशन भी पेश किया।
बैठक में शामिल सूत्रों का कहना है कि किसी भी मुद्दे को लेकर वोटिंग की नौबत नहीं आई। सभी मुद्दों पर आपसी सहमति से ही फैसले हुए। आरबीआइ में बैंकिंग रेगुलेशन और सुपरविजन का जिम्मा संभाल रहे डिप्टी गवर्नर एनएस विश्वनाथन ने एक विस्तृत प्रजेंटेशन भी पेश किया।
अब विशेष समिति पर दारोमदार
- आरबीआइ के बयान के मुताबिक बेसल नियमों, छोटे व मझोले उद्योगों को फंसे कर्जे के भुगतान में ज्यादा वक्त देने, सरकारी बैंकों पर लागू प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन और इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) पर चर्चा हुई।
- आरबीआइ के बयान के मुताबिक बेसल नियमों, छोटे व मझोले उद्योगों को फंसे कर्जे के भुगतान में ज्यादा वक्त देने, सरकारी बैंकों पर लागू प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन और इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) पर चर्चा हुई।
-ईसीएफ पर बनेगी विशेष समिति, जो तय करेगी कि आरबीआइ के पास कितना रिजर्व फंड रहना चाहिए और इसका कितना हिस्सा सरकार को जाए।
- यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर लगातार बना हुआ था टकराव।
- समिति के सदस्यों के बारे में वित्त मंत्रालय और आरबीआइ मिलकर फैसला करेंगे।
- यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर लगातार बना हुआ था टकराव।
- समिति के सदस्यों के बारे में वित्त मंत्रालय और आरबीआइ मिलकर फैसला करेंगे।
क्यों हुआ विवाद-आरबीआइ के पास अभी 9.69 लाख करोड़ रुपये की रिजर्व रकम है।
-पूर्ववर्ती सरकारों की तरह मौजूदा सरकार भी इसमें से एक हिस्से की मांग कर रही है, जिसका इस्तेमाल दूसरे विकास कार्यो के लिए हो सके।
-आरबीआइ के मुताबिक, इस रिजर्व का होना भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति और स्थिति को देखते हुए जरूरी है।
-पूर्ववर्ती सरकारों की तरह मौजूदा सरकार भी इसमें से एक हिस्से की मांग कर रही है, जिसका इस्तेमाल दूसरे विकास कार्यो के लिए हो सके।
-आरबीआइ के मुताबिक, इस रिजर्व का होना भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति और स्थिति को देखते हुए जरूरी है।
पीसीए में संशोधन को राजी-प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) के प्रावधानों में कुछ संशोधन करने को आरबीआइ तैयार, ताकि कुछ सरकारी बैंकों को इसके दायरे से निकाला जा सके।
-अभी 11 सरकारी बैंक हैं पीसीए के दायरे में। -इसके लिए अलग से समिति नहीं होगी, बल्कि आरबीआइ की वित्तीय निगरानी से जुड़ा एक बोर्ड ही विचार करेगा।
- सूक्ष्म, छोटे व मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को ज्यादा कर्ज देने के मुद्दे पर आरबीआइ ने दिया आश्वासन।
- जिन एमएसएमई पर 25 करोड़ रुपये तक का एनपीए (बैंकों के फंसे कर्जे) है, उनके लिए अलग से स्कीम लाने का बोर्ड ने दिया था सुझाव। ताकि उन पर लागू न हो दिवालिया कानून।
-अभी 11 सरकारी बैंक हैं पीसीए के दायरे में। -इसके लिए अलग से समिति नहीं होगी, बल्कि आरबीआइ की वित्तीय निगरानी से जुड़ा एक बोर्ड ही विचार करेगा।
- सूक्ष्म, छोटे व मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को ज्यादा कर्ज देने के मुद्दे पर आरबीआइ ने दिया आश्वासन।
- जिन एमएसएमई पर 25 करोड़ रुपये तक का एनपीए (बैंकों के फंसे कर्जे) है, उनके लिए अलग से स्कीम लाने का बोर्ड ने दिया था सुझाव। ताकि उन पर लागू न हो दिवालिया कानून।
गुरुवार को 8,000 करोड़ रुपये जारी करेगा आरबीआइमुंबई। आरबीआइ सरकारी सिक्युरिटीज की खरीद के जरिए गुरुवार को बाजार में 8,000 करोड़ रुपये जारी करेगा। सोमवार को एक बयान में बैंक ने कहा कि उसने बाजार में नकदी की मौजूदा स्थिति का मूल्यांकन किया है।इसके साथ ही आने वाले दिनों में नकदी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए वह गुरुवार को ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के माध्यम से 8,000 करोड़ रुपये मूल्य के सरकारी सिक्युरिटीज खरीदेगा।