साभार: जागरण समाचार
प्रवर्तन निदेशालय ने बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने विजय माल्या की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था।
विशेष अदालत ने माल्या के वकील के साथ ईडी के वकील की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। ईडी ने मांग की है कि फिलहाल ब्रिटेन में मौजूद माल्या को आर्थिक भगोड़ा अपराधी (एफईओ) घोषित किया जाए और उसकी संपत्ति जब्त कर नए एफईओ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाया जाए। हालांकि, माल्या के वकील अमित देसाई ने अदालत से आग्रह किया था कि ईडी की याचिका पर सुनवाई को टाल दी जाए।
देसाई ने इससे पहले कोर्ट को बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अपीलिय प्राधिकरण ने माल्या की संपत्ति पर ईडी को 26 नवंबर तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था। हालांकि, ईडी की ओर से वकील डीपी सिंह ने अदालत से कहा था कि देसाई के तर्क का मतलब केवल यह है कि माल्या को भारत में किसी भी अदालत के समक्ष किसी भी कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़े।
ईडी ने कोर्ट से कहा था कि माल्या न तो भारत आना चाहते हैं और न ही उनकी मंशा बैंक से लिए कर्ज को चुकाने की है। ईडी ने कहा कि माल्या प्रत्यर्पण कार्यवाही को और लंबा खींचना चाहता है और जमानत शर्तों का उपयोग केवल भारत आने से बचने के लिए कर रहा है। ईडी ने कोर्ट से कहा कि माल्या को वापस भारत लाने का एकमात्र तरीका एफईओ घोषित करना है।
इससे पहले आयकर विभाग ने लोगों को चेताया था कि वे भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्यी की कंपनी के 41 लाख शेयरों को ना खरीदें। आईटी अधिकारी एन. राठी ने कहा था कि हम लोगों को माल्या की कंपनी यूनाइटेड रेसिंग एंड ब्लडस्टॉक ब्रीडर्स लि. (यूआरबीबीएल) के शेयरों को खरीदने के पहले सावधानी बरतने की सलाह देते हैं तथा ई-नीलामी में इसकी खरीदारी वे खुद की जोखिम पर करें, क्योंकि ये (शेयर) कर चोरी के मामले में हमारे पास (कस्टडी में) है।