साभार: जागरण समाचार
पराली जलाने पर रोकथाम के केंद्र और राज्य सरकारों के बड़े-बड़े दावे साबित हुए है। यह स्थिति तब है, जब पराली प्रबंधन के नाम पर पंजाब और हरियाणा पर केंद्र ने करोड़ों रुपए खर्च भी किए। इसके तहत इन राज्यों को
पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह से खत्म करना था। लेकिन हकीकत इससे उलट सामने आयी है। पंजाब जैसे राज्यों में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हुई है। हरियाणा में भी कमोवेश कुछ ऐसी ही स्थिति है, जहां थोड़ी कमी तो हुई है, पर करोड़ों खर्च करने के बाद खुश होने लायक बिल्कुल भी नहीं है।
पराली जलाने की घटनाओं को लेकर यह आंकड़े इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की ओर मुहैया कराए गए है। इसके तहत इस साल एक सिंतबर से 14 नवम्बर के बीच अकेले पंजाब में पराली जलने की कुल 48,980 घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं, जबकि पिछले साल इसी समयावधि में इसरो ने पराली जलने की कुल 46,836 घटनाएं रिपोर्ट की थी। इन आकंड़ों से पिछले साल के मुकाबले पराली जलने की घटनाओं में बढ़ोतरी साफ दिख रही है। वहीं हरियाणा में इस साल एक सितंबर से 14 नवम्बर के बीच करीब सात हजार घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं, जबकि पिछले साल इसरो ने इसी समयावधि में करीब 8,800 घटनाएं रिपोर्ट की थी।
हालांकि इस सब के बीच पराली जलाने की घटनाओं पर नजर रखने वाली कृषि मंत्रालय की एजेंसी ने कुछ अलग आंकड़े पेश किए है। हालांकि उन्होंने पराली जलाने के आंकड़े 30 सितंबर से 14 नवम्बर तक के जुटाए हैं, जिसके तहत पंजाब में अब करीब 51 हजार पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुई है, पिछले साल इस समयावधि में यह 54 हजार के आसपास थे। हालांकि इसरो और कृषि मंत्रालय की ओर से जुटाए गए आंकड़ों में अंतर के पीछे पर्यावरण मंत्रालय का तर्क है कि इसरो ऊपर से दिखने वाली आग की घटनाओं के आधार पर आंकड़े जुटाता है, जबकि कृषि मंत्रालय की टीम जमीन के रकबे के आधार पर आंकड़े तैयार करती है। हरियाणा को लेकर भी कृषि मंत्रालय की टीम ने 30 सितंबर से 14 नवम्बर के बीच इस साल कुल 7152 घटनाएं रिपोर्ट की हैं, जबकि पिछले साल इसी समयावधि में यह घटनाएं करीब दस हजार थी। हालांकि आंकड़े जो भी है, लेकिन इससे साफ है कि पराली जलाने की रफ्तार में कोई कमी नहीं आयी है।
किस राज्य को कितनी मदद: पराली जलाने से रोकथाम के लिए केंद्र सरकार ने किसानों को छूट पर उपकरण उपलब्ध कराने की योजना बनाई। करीब 12 सौ करोड़ की योजना बनाई गई है, इसके तहत पहले साल में करीब छह सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए। इनमें पंजाब को 269 करोड़, हरियाणा को 137 करोड़, उत्तर प्रदेश को 148 करोड़ रुपए दिए गए थे।