साभार: जागरण समाचार
सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर सुनवाई की तारीख आगे बढ़ने के बाद सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा की वापसी की उम्मीदें धुंधली हो गई है। अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है, जिससे वर्मा को राहत
मिलने के संकेत मिलते हों। मामला लंबा खिंचने से वर्मा के दो साल के सुनिश्चित कार्यकाल में बचा हुआ कार्यकाल लगातार कम होता जा रहा है। सीबीआइ के कुछ अधिकारियों का मानना है कि सतीश बाबू सना के आरोपों की गहराई से जांच के बिना शीर्ष अदालत के लिए आलोक वर्मा को क्लीन चिट देकर निदेशक का पदभार सौंपना आसान नहीं होगा। यदि सुप्रीम कोर्ट आरोपों की जांच का आदेश देता है, तो वर्मा के 31 जनवरी तक बाकी कार्यकाल के लिए वापसी संभव नहीं होगा। सतीश बाबू सना ने सीबीआइ को दिये सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दिये बयान में टीडीपी के एक सांसद के मार्फत आलोक वर्मा से मदद मिलने का दावा किया था।