साभार: जागरण समाचार
नीति आयोग ने पंचवर्षीय योजनाएं बंद कर देश के विकास के लिए त्रिवर्षीय, सात-वर्षीय और पंद्रह वर्षीय योजनाएं बनाने की घोषणा तो कर डाली, लेकिन आयोग अब तक इसे मूर्त रूप नहीं दे पाया है। हाल यह है कि
नीति आयोग को बने चार साल पूरे होने वाले हैं, लेकिन आयोग देश के विकास की सात-वर्षीय योजना पेश नहीं कर पाया है।
एक जनवरी 2015 को हुआ था नीति आयोग का गठन: नीति आयोग ने तय किया था कि अब देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं नहीं बनेंगी। इसकी जगह त्रिवर्षीय कार्य योजना, सात वर्षीय कार्य नीति और 15 वर्षीय विजन दस्तावेज बनाये जाएंगे। आयोग ने किसी तरह तीन वर्षीय कार्ययोजना तो बना दी, लेकिन लगभग चार साल होने के बावजूद अब तक सात वर्षीय कार्य योजना का कुछ अता पता नहीं है। यह योजना देश के समक्ष कब पेश होगी और इस पर कब से अमल होगा, इस बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
सूत्रों ने कहा कि आयोग अब 2022 तक की विकास रणनीति पेश करना चाहता है। इस संबंध में एक दस्तावेज का मसौदा तैयार कर प्रधानमंत्री की मंजूरी के लिए भेजा भी गया है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इसे नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की मंजूरी के लिए कब भेजेगी और कब इसे जारी करेगी।
सूत्रों का यह भी कहना है कि चूंकि यह योजना 2018-19 से 2021-22 की अवधि के लिए होगी इसलिए इसे सप्तवर्षीय योजना नहीं कहा सकता है। दैनिक जागरण ने जब इस संबंध में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की प्रतिक्रिया जानने को संपर्क किया तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया।
सूत्रों का कहना है कि 2022 तक देश के विकास की कार्ययोजना पूर्ववर्ती योजना आयोग के समय बनायी जा रहीं पंचवर्षीय योजनाओं से भिन्न होगी। असल में पंचवर्षीय योजना में जिस तरह प्रत्येक क्षेत्र के लिए वित्तीय संसाधनों का आवंटन किया जाता था, वैसा इस योजना में नहीं होगा।
अंतिम पंचवर्षीय योजना 12वीं थी जो 31 मार्च, 2017 को खत्म हो चुकी है। योजना आयोग के समय अक्सर पंचवर्षीय योजनाएं तैयार करने में विलंब होता था, लेकिन नीति आयोग बनने के बावजूद स्थिति में बदलाव नहीं आया है। देश के विकास की अल्पावधि, मध्यावधि और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार होने में विलंब इसकी तस्दीक करता है।