साभार: जागरण समाचार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए स्मार्टफोन आधारित प्रणाली विकसित की है। इस प्रणाली में एक ऐसे पेपर का इस्तेमाल किया जाएगा जो
अम्लता के अनुसार रंग बदलता है। संस्थान ने एल्गोरिदम भी विकसित किया है जिसका इस्तेमाल स्मार्टफ़ोन के द्वारा कागज के रंग परिवर्तन का सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।
इस अनुसंधान दल के नेतृत्वकर्ता प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने कहा कि क्रोमैटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीक मिलावट का पता लगाने के लिए पहले से उपलब्ध हैं लेकिन ये काफी महंगे हैं। इसलिए भारत जैसे विकासशील देश में लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे उपकरण विकसित करने की जरूरत है जिससे लोग सरलता से दूध में मिलावट का पता लगा सकें और यह किफायती भी हो।
प्रोफेसर के अनुसार सबसे पहले शोध दल ने पीएच स्तर को मापने के लिए एक सेंसर-चिप आधारित विधि विकसित की, जो अम्लता का सूचक है। उन्होंने नैनोसाइज्ड नायलॉन फाइबर से बने कागज जैसी सामग्री का उत्पादन करने के लिए "इलेक्ट्रोस्पिनिंग" नामक एक प्रक्रिया का उपयोग किया,जो तीन रंगों के संयोजन से बना हुआ था। इस पेपर को हेलोक्रोमिक पेपर कहते है जो अम्लता के अनुसार अपना रंग बदलता है। शोधकर्ताओं ने एक प्रोटोटाइप स्मार्ट फोन-आधारित एल्गोरिदम विकसित किया है। इस पेपर को दूध में डुबाने के बाद स्ट्रिप्स का इस फोन से फोटो लिया जाता है जिसके बाद डेटा पीएच रेंज में बदल जाता है।
सिंह ने कहा कि हमने तीन मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया है और इनके रंग को वर्गीकृत करने की छमता का अलग-अलग मानकों के साथ तुलना किया। इस परीक्षण में हमें 99.71 प्रतिशत परिशुद्धता का निकटतम वर्गीकरण मिला।
उन्होंने कहा कि प्रणाली में मोबाइल फोन कैमरा और लाइट के प्रभाव का अध्ययन के लिए टीम इस अनुसंधान का विस्तार करेगी। आने वाले समय में हम अन्य भौतिक गुणों जैसे चालकता और अपवर्तक सूचकांक के लिए सेंसर विकसित करने की कोशिश करेंगे।