साभार: जागरण समाचार
बच्चों की परवरिश किस माहौल और किस कदर की जा रही है, ये बच्चे के वर्तमान और भविष्य पर गहरा प्रभाव डालता है। बच्चों के दिमाग का विकास भी उनके साथ किये जा रहे व्यवहार पर काफी हद तक निर्भर करता है।
एक उपेक्षित बच्चे (neglected child) का दिमाग और एक पोषित बच्चे (caring child) के दिमाग में जमीन-आसमान का अंतर होता है। उपेक्षित बच्चे का दिमाग का विकास अन्य बच्चों के मुकाबले बहुत धीमी गति से होता है। जिसका स्पष्ट मतलब यह हुआ कि प्यार और अपनापन स्वस्थ रूप से बच्चों के दिमाग का विकास करता है, जबकि तिरस्कार, झिड़क, भावनात्मक आघात बच्चों के दिलो-दिमाग पर गहरा प्रभाव डालता है।
तीन साल के बच्चे के दिमाग की स्टडी: दरअसल, अमेरिका के टेक्सास प्रांत में तीन साल के बच्चे के दिमाग की स्टडी की गई। ये जानने की कोशिश की गई कि तीन साल के एक उपेक्षित बच्चे और एक बहुत ही केयरिंग/पोषित बच्चे के दिमाग में आखिर अंतर क्या है? स्टडी के दौरान यह पाया गया कि उपेक्षित बच्चे का दिमाग पोषित बच्चे की तुलना में काफी छोटा है। दो अलग-अलग बच्चे की मस्तिष्क के सिटी स्कैन की गईं तस्वीरों से यह अंतर समझाया गया है।
ऊपर, बाईं ओर की तस्वीर पोषित पर्यावरण में पले-बढ़े तीन वर्षीय बच्चे के स्वस्थ मस्तिष्क की है। स्वस्थ मस्तिष्क काफी बड़ा नजर आ रहा है। जबकि दाईं तरफ की तस्वीर उपेक्षित बच्चे के मस्तिष्क की है, जो अत्यधिक भावानात्मक आघार और उपेक्षा का सामना किया हुआ है। दाईं ओर के बच्चे का मस्तिष्क गंभीर संवेदन-वंचित उपेक्षा से पीड़ित है और उसका मस्तिष्क काफी छोटा है, जो कुछ धुंधली संरचनाएं भी दिख रही हैं। ऊपर की तस्वीर में आपको दोनों के मस्तिष्कों के बीच का अंतर साफ नजर आ रहा होगा। दाईं तस्वीर से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यह बच्चा गंभीर दुर्व्यवहार का शिकार रहा होगा/है।
यह तस्वीर टेक्सास चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में मनोचिकित्सा के चीफ प्रोफेसर ब्रूस डी पेरी द्वारा एक अखबार के साथ शेयर की गई है। यह तस्वीर दर्शाती है कि कैसे बचपन की उपेक्षा जिंदगी के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करती है? पेरी ने अखबार में लिखा, 'ये तस्वीरें विकासशील मस्तिष्क पर उपेक्षा के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाती हैं।'
पेरी बताते हैं कि 'बाईं ओर की सीटी स्कैन में एक तीन साल के बच्चे का स्वस्थ दिमाग नजर आ रहा है, जो औसत सिर के आकार जैसा है। जबकि दूसरी तस्वीर में उस बच्चे के दिमाग की तस्वीर है, जो जिंदगी में काफी शोषित रहा है। जिसने अत्याचार रह रखें हैं या फिर उपेक्षा का शिकार है।
इस कारण इस बच्चे का मस्तिष्क औसत से काफी छोटा है, जबकि वेंट्रिकल्स (मस्तिष्क का निलय) और कॉर्टिकल एट्रोफी (मस्तिष्क का हिस्सा जो दृश्य जानकारी को संसाधित करता है) काफी बढ़ा हुआ है। इसका मतलब है कि बच्चे के विकास में देरी और याददास्त से जुड़ीं समस्याएं भुगतनी पड़ेंगी।
कॉर्टिकल एट्रोफी मस्तिष्क से जुड़ी ऐसी समस्या है, जो सामान्य तौर पर वृद्ध लोगों में देखने को मिलती हैं, जो अल्जाइमर रोग से पीड़ित होते हैं। पेरी बताते हैं कि भावनात्मक उपेक्षा का सामना करने वाले बच्चों और वयस्कों को स्वस्थ संबंध बनाने में विशेष रूप से मुश्किल लग सकती है। इनमें भावात्मक लगाव की कमी भी देखने को मिलती है, क्योंकि धीरे-धीरे उपेक्षित बच्चे दुनिया या आम जनजीवन से कटने लगते हैं।
ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के साथ भावात्मक और दोस्ताना व्यवहार रखें, ताकि उनका विकास अन्य बच्चों की तरह से सामान्य हो। ऐसा नहीं करने पर आपके बच्चे के मस्तिष्क का विकास ठहर जाएगा, कई बार यह बीमारी का रूप भी ले लेता है और कई बार उनके भविष्य के लिए खतरे की घंटी भी साबित हो सकता है। बच्चे गलत राह पर भी निकल सकते हैं। ऐसे में स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी के लिए बच्चों को आपके प्यार और अपनेपन की बेहद जरूरत है।