सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया है। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर, न्यायमूर्ति आदर्श
गोयल और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र से इस पर चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है। याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट ने यह कहत हुए याचिका खारिज कर दी थी कि इस मुद्दे पर ऐसी ही मांग शीर्ष अदालत खारिज कर चुकी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जम्मू-कश्मीर के संविधान को अवैध और निर्थक घोषित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ता विजयलक्ष्मी झा ने कहा कि हाई कोर्ट ने शीर्ष अदालत के पूर्व फैसले की गलत व्याख्या कर उनकी याचिका खारिज कर दी। उन्होंने हाई कोर्ट से कहा था कि अनुच्छेद-370 अस्थायी प्रावधान था, जो 1957 में राज्य की संविधान सभा के विघटन के साथ खत्म हो गया था। याचिका के मुताबिक राज्य संविधान सभा के विघटन और जम्मू-कश्मीर के संविधान को राष्ट्रपति, संसद या भारत सरकार से मंजूरी नहीं मिलने के बावजूद अनुच्छेद 370 का जारी रहना हमारे संविधान के बुनियादी ढांचे के साथ धोखा है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील अनिल कुमार झा ने कहा कि हाई कोर्ट ने याचिका में की गई पहली मांग पर केवल विचार किया और अन्य मांगों को ध्यान में नहीं रखा। उन्होंने कहा कि पूर्व में 1969 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला अलग संदर्भ में था। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने करीब 13 महीने फैसला सुरक्षित रखा था। इसके बाद 11 अप्रैल 2017 को याचिका के गुण-दोष और उसमें शामिल मुद्दों पर विचार किए बगैर उसे खारिज करने का फैसला सुनाया गया।
गैर मुसलमानों को अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में तीन महीने में हो फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में गैर मुसलमानों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार को अंतिम मौका देते हुए तीन महीने के भीतर इस पर निर्णय लेने को कहा है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ जम्मू-कश्मीर के वकील अंकुर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रही है। कहा कि जनहित याचिका पर अपने रुख से कोर्ट को अवगत कराने के लिए और आठ हफ्ते का समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने उनकी यह मांग स्वीकार ली। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि जम्मू-कश्मीर जैसे मुस्लिम बहुल राज्य में गैर मुसलमानों को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाना चाहिए, ताकि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उन्हें मिल सके।
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साभार: जागरण समाचार
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