तुर्की के राष्ट्रपति तैयिप एर्दोगन ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह सीरियाई कुर्द लड़ाकों को मदद देना बंद करे वरना वह इसके खिलाफ फौजी कार्रवाई करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की थी कि रक्का
पर हमला करने के लिए वे कुर्द लड़ाकों की सीधी मदद करेंगे। सीरियाई शहर रक्का आईएस आतंकियों की राजधानी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। तुर्की ने ऑनलाइन एन्साइक्लोपीडिया विकिपीडिया को भी चेतावनी दी है कि वह उसे आतंकियों का समर्थक बताना बंद करे। तुर्की ने दो हफ्ते पहले इस साइट को ब्लॉक कर दिया है। तुुर्की ने अपनी चेतावनी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों तक पहुंचा दी है। दोनों देशों के अफसरों की बंद कमरे में बैठक हो चुकी है। तुर्की के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, अमेरिका को बता दिया है कि तुर्की के पास फौजी कार्रवाई का विकल्प है। इसी हफ्ते उत्तरी सीरिया में अमेरिका के सहयोग वाले कुर्द लड़ाकों पर तुर्क सेना सीमित हवाई हमले कर चुकी है। अमेरिका-नीत नाटो का सदस्य देश होने के बावजूद तुर्की ने ये हमले किए इस पर अमेरिका कड़ी नाराजगी भी जता चुका है। अमेरिका को आशंका है कि कुर्द लड़ाकों को रक्का से दूर रखने के लिए तुर्की अपनी सेना उत्तरी सीरिया भेज सकता है।
अगले हफ्ते अमेरिका जाने वाले हैं तुर्क राष्ट्रपति एर्दोगन, जिन्होंने दी चेतावनी:
- अमेरिका तुर्की की बात मानकर एसडीएफ को सीधी मदद बंद करे।
- तुर्क सेना रक्का में अमेरिकी मदद वाले अभियान को रोके।
दोनों नहीं माने तो सीरिया और रक्का में आईएस आतंकी मजबूत हो सकते और अपनी गतिविधियां बढ़ा सकते हैं।
ये हैं संभावनाएं: हम खुले दिल से बात करेंगे। हमारा विश्वास है कि अंकारा की चिंताओं का समाधान जल्द हो जाएगा।' -जेम्स मैटिस, अमेरिकी रक्षामंत्री
^तुर्की का सब्र टूट रहा है, हम जानना चाहते हैं कि हमारा सहयोगी (अमेरिका) हमारे साथ है या आतंकियों के साथ। उम्मीद है राष्ट्रपति ट्रम्प अपना फैसला पलट देंगे।' -तैयिप एर्दोगन, राष्ट्रपति तुर्की
भीतरी आतंकवाद का खतरा
तुर्कीएक ऐसा देश है जो एशिया और यूरोप दोनों में है। उसकी सीमा आईएस आतंकियों के गढ़ सीरिया और इराक से भी लगती हैं जो एशिया में हैं। तुर्की की दक्षिणी सीमा में पीकेके आतंकी गतिविधियां करती है जिससे तुर्की की सेना अकेले निपट रही है। यह अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो का एकमात्र ऐसा सदस्य देश है जो अपने देश में ही भीतरी आतंकियों से भी जूझ रहा है।
मदद को गलत मानता है तुर्की
अमेरिकाद्वारा कुर्द लड़ाकों को मदद तुर्की गलत मानता है। वह कुर्द जन रक्षा इकाइयों या वाईपीजी को आतंकी खतरा मानता है। अमेरिका जिस सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (एसडीएफ) को मदद दे रहा है, उसमें वाईपीजी शामिल है। वह कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से संबद्ध है। बताया जाता है कि पीकेके तुर्की के खिलाफ दशकों से संघर्षरत है। उसे अमेरिका और तुर्की दोनों ने ही आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
ये हैं संभावनाएं: हम खुले दिल से बात करेंगे। हमारा विश्वास है कि अंकारा की चिंताओं का समाधान जल्द हो जाएगा।' -जेम्स मैटिस, अमेरिकी रक्षामंत्री
^तुर्की का सब्र टूट रहा है, हम जानना चाहते हैं कि हमारा सहयोगी (अमेरिका) हमारे साथ है या आतंकियों के साथ। उम्मीद है राष्ट्रपति ट्रम्प अपना फैसला पलट देंगे।' -तैयिप एर्दोगन, राष्ट्रपति तुर्की
भीतरी आतंकवाद का खतरा
तुर्कीएक ऐसा देश है जो एशिया और यूरोप दोनों में है। उसकी सीमा आईएस आतंकियों के गढ़ सीरिया और इराक से भी लगती हैं जो एशिया में हैं। तुर्की की दक्षिणी सीमा में पीकेके आतंकी गतिविधियां करती है जिससे तुर्की की सेना अकेले निपट रही है। यह अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो का एकमात्र ऐसा सदस्य देश है जो अपने देश में ही भीतरी आतंकियों से भी जूझ रहा है।
मदद को गलत मानता है तुर्की
अमेरिकाद्वारा कुर्द लड़ाकों को मदद तुर्की गलत मानता है। वह कुर्द जन रक्षा इकाइयों या वाईपीजी को आतंकी खतरा मानता है। अमेरिका जिस सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (एसडीएफ) को मदद दे रहा है, उसमें वाईपीजी शामिल है। वह कुर्दिश वर्कर्स पार्टी (पीकेके) से संबद्ध है। बताया जाता है कि पीकेके तुर्की के खिलाफ दशकों से संघर्षरत है। उसे अमेरिका और तुर्की दोनों ने ही आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
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साभार: भास्कर समाचार
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