हरियाणा में चौटाला सरकार के दौरान 2004 में जीआरपी भर्ती के दौरान हुई धांधली मामले में स्वयं संज्ञान ली गई याचिका पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सीबीआई द्वारा जांच के बाद दाखिल की गई चार्जशीट तलब की है। एमिक्स क्यूरी (अदालत के सहयोगी) ने भर्ती को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा कि
उच्चाधिकारियों ने जिस प्रकार इस भर्ती में धांधली की है उससे स्पष्ट होता है कि इन कांस्टेबलों की नियुक्ति को खारिज किया जाना चाहिए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।हाईकोर्ट ने पूछा कि अभी इन कांस्टेबलों को सर्विस में रखा है या हटा दिया गया है। इस पर हरियाणा सरकार की ओर से बताया गया कि अभी ये सभी कांस्टेबल सर्विस में है। एमिक्स क्यूरी ने कहा कि आदेशों के बावजूद इन कांस्टेबलों को शो कॉज नोटिस जारी करते हुए हटाया नहीं गया। यह मामला पूरी तरह से फर्जी भर्ती का है और इसको सीबीआई की रिपोर्ट प्रमाणित करती है। ऐसे में भर्ती को रद्द किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने मामले में स्वयं संज्ञान लेकर हरियाणा के मुख्य सचिव से जवाब मांगा था। हरियाणा सरकार ने 8 जून 2003 को गवर्नमेंट रेलवे पुलिस हरियाणा आर्म्ड पुलिस में 350 कांस्टेबल की भर्ती के लिए आवेदन मांगे थे। इनके लिए 12 दिसंबर 2003 को इंटरव्यू लिए गए। 9 जुलाई 2004 को चयन के लिए बुलावा भेजा गया। बाद में 29 जुलाई 2004 को रेवाड़ी निवासी शैलेंद्र को ज्वाइन कराने से इंकार कर दिया गया। कहा गया कि उनका नाम अभी वेटिंग लिस्ट में है। इस पर शैलेंद्र ने हाईकोर्ट में दस्तक दी। अदालत ने सीबीआई जांच के निर्देश दिए।
सीबीआई ने जांच में अनियमितताएं पाए जाने का खुलासा किया। हाईकोर्ट ने 10 जनवरी 2008 को अपने फैसले मे कहा था कि सीबीआई की रिपोर्ट पर सरकार कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। साथ ही इस दौरान यदि चयनित उम्मीदवारों को नौकरी में रखना चाहे तो शैलेंद्र जैसे अन्य सभी याचियों को अधिकार है कि वे नौकरी पाने के लिए अपना दावा रखें।
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साभार: भास्कर समाचार
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