Tuesday, October 6, 2015

अगली पीढ़ी की पूरी जीवन शैली किराए पर

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा )
रवि ने अपनी डायरी हाथ में थामे हुए बताया कि महीने का कुल खर्च 55,800 रुपए आया है। हाल ही में रूम पार्टनर के रूप में साथ आया मुकेश सोच रहा था कि खर्च इतना ज्यादा क्यों है। रवि ने उसे समझाने के लिए कहा- किराया 25 हजार, मैड और केयरटेकर 6,500 रुपए, ट्रेडमिल 2,500 रुपए, रेफ्रिजरेटर 750 रुपए, डायनिंग टेबल 550 रुपए, सभी अलमारी 5,000 रुपए, अनुमानित किराना 8,000 रुपए, टीवी 1000 रुपए, बिजली और केबल 4,500 रुपए, गैस स्टोव 400 रुपए, पाइप्ड गैस 600 रुपए, किचन का सामना जैसे मिक्सर, माइक्रोवेव और ब्लैडर 1000 रुपए और कुल हो रहा है- 55,800 रुपए। इस तरह प्रति व्यक्ति खर्च आया 13,950। संतुष्ट होकर मुकेश ने खर्च का अपना हिस्सा उसे दे दिया। 
रवि, रमेश, सिद्धार्थ और मुकेश नए जमाने के 20-25 साल की उम्र के टेक-सेवी युवा लड़के हैं, जो शीर्ष आईटी कंपनियों में काम करते हैं। नौकरियां प्राप्त करने के बाद वे देश के अलग-अलग हिस्सों से यहां आए हैं और सोशल मीडिया साइट्स के जरिये रूप पार्टनर बन गए। चूंकि नए शहर में रहने जाने पर खर्च अधिक होता है इसलिए चारों ने एेसी कंपनी के बारे में पता किया जो हर चीज किराए पर देती है। ये लोग जगह बदलती उस आबादी का हिस्सा हैं, जो घर के उपयोग की कोई भी चीज खरीदने के स्थान पर उसे किराए पर लेना पसंद करती है। पूरे बेंगलुरू शहर में नई आईटी पीढ़ी जो खुद नहीं जानती कि वह कितने दिन शहर में या जॉब में रहेगी, वह उपकरण खरीदने के बजाय किराए पर लेने को तवज्जो दे रही है। और उनकी मदद के लिए 'वाट्स ऑन रेंट' नाम का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म चार सप्ताह पहले ही शुरू हुआ है, जो घरेलू उपकरण किराए पर देता है। इसे श्रेयांश श्रीमाली, भारत गोयल और सुलभ जैन ने शुरू किया है और अब तक उन्हें 75 ऑर्डर मिले हैं। 
इसके पहले की नौकरी में रवि और मुकेश दो अलग-अलग समूहों का हिस्सा थे और जिस घर में वे रहते थे उसके लिए घरेलू सामान खरीदने के लिए समान हिस्सा देते थे, लेकिन समस्या तब आई जब दोनों नए शहरों में शिफ्ट हुए। कोई भी किसी ऐसे दोस्त का हिस्सा वहन करने को तैयार नहीं था जो समूह से अलग हो रहा हो या शादी कर रहा हो और दोनों ही तरफ से काफी नाराजगी हो जाती थी। नई व्यवस्था में घर के हर सामान का किराया तय है और यह इस्तेमाल करने वाले चारों साथियों के बीच बांटा जा रहा है। अगर इनमें से कोई एक अलग हो जाए तो तीनों मिलकर खर्च वहन करेंगे जब तक कि नया पार्टनर नहीं मिल जाता। पिछले नौ महीने से उनके उनके यहां काम कर रही मेड ने जब पिछले माह बताया कि वह काम छोड़ रही है तो तीनों ने एक वॉशिंग मशीन किराए पर लेने का फैसला किया, जो 'वॉट्स ऑन रेंट' से मंगवाई। इसमें फ्रंट लोडिंग 800 रुपए, टॉप लोडिंग 600 रुपए और सेमी ऑटोमेटक वॉशिंग मशीन 450 रुपए मासिक पर उपलब्ध थी। हर कोई अपना खुद का वॉशिंग पाउडर इस्तेमाल कर अपनी सुविधा और शिफ्ट के अनुसार अपने कपड़े धो सकता है। 
अन्य उपकरण जो ज्यादा चल रहे हैं उनमें माइक्रोवेव, टेलीविजन और ट्रैडमिल शामिल हैं। घरेलू उपकरण कम से कम चार महीने के लिए किराए पर दिए जाते हैं। इसके बाद इस अवधि को बढ़ाने का विकल्प है। एक क्लिक पर उपकरण घर जाता है। ही सामान को पाने और ही इसे वापस करने में कोई समय लगता है। कंपनी में एक मैकेनिक है जो मशीन में किसी भी तरह की समस्या आने पर उसे ठीक करता है। यह अनोखा बिज़नेस आइडिया है और कई लोग जो अस्थायी रूप से ट्रांसफर होते हैं वे अपना सामान किराये पर देने को राजी हो जाते हैं, ताकि जब वे वापस आएं तो उसे अपग्रेड कर सकें, जबकि पुराना सामान उन्हें किराया देता रहता है और इसमें से कुछ हिस्सा उन्हें कंपनी को देना होता है। 
फंडायह है कि युवाओंके लिए उनके शुरुआती कॅरिअर के सालों में यह बहुत अच्छा है, विशेष रूप से तब जब वे अपने घरों से दूर रह रहे होते हैं और साथ ही खर्च में कुछ कटौती भी करना चाहते हों।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभारभास्कर समाचार 
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