Wednesday, October 7, 2015

पंचायत चुनाव: कोर्ट में दाखिल करने के लिए सरकार का हलफनामा तैयार, सुनवाई आज

पंचायत चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने के अपने फैसले को हरियाणा सरकार ने जायज ठहराया है। राज्य सरकार का कहना है कि इस निर्णय को गलत कैसे कहा जा सकता है कि जब सुप्रीम कोर्ट पहले इस निर्णय पर मुहर लगा चुका है कि सरपंच और उप सरपंच वही बन सकता है, जिनके दो से अधिक बच्चे न हों। सरकार का तर्क है कि चुनाव लड़ना न तो मूल अधिकार है और न ही कॉमन लॉ है। यह वैधानिक अधिकार है। ऐसे में राज्य सरकार कानून बनाकर योग्यता निर्धारित कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा है कि 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने जावेद बनाम हरियाणा मामले में हरियाणा निगम (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 1994 को सही ठहराया था। इस अधिनियम के तहत हरियाणा सरकार ने दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद का चुनाव लड़ने पर अयोग्य ठहराया था। राज्य सरकार का कहना है सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को गांवों में सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के लिए सकारात्मक कदम बताते हुए कहा था कि नियम बनाना राज्य सरकार का विवेक है। इस नियम को सुप्रीम कोर्ट ने जनहित में बताया था।
सरकार का तर्क: हरियाणा सरकार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2003 में दिए आदेश को ध्यान में रखते हुए ही नया कानून बनाया गया है। न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की दो सदस्यीय पीठ वर्ष 2003 में तीन सदस्यीय पीठ के आदेश के खिलाफ नहीं जा सकती। भले ही सांसदों और विधायकों के लिए कोई शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं है कि सरकार पंचायत चुनाव के लिए यह अनिवार्यता तय नहीं कर सकती।
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साभारअमर उजाला समाचार 
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