पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि
शिक्षा विभाग राजनेताओं या पंचायत की जागीर नहीं है जिनके इशारे या सिफारिश
के आधार पर शिक्षकों का तबादला कर दिया जाए। जस्टिस अमित रावल ने यह
टिप्पणी महिला विद्यालय की प्रिंसिपल के तबादला आदेश को रद करते हुए
की। हिसार के कैमरी स्थित राजकीय महिला वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की
प्रिंसिपल शालिनी संधू का पिछले साल 6 अगस्त को सरकार ने किसी अन्य स्कूल
में तबादला कर दिया था। शिक्षा विभाग ने यह
तबादला गांव की पंचायत और नलवा
विधानसभा क्षेत्र से तत्कालीन विधायक संपत सिंह की सिफारिश के आधार पर किया
था। हाईकोर्ट ने हरियाणा में सरकारी स्कूलों में पंचायत व राजनेताओं के
हस्तक्षेप पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकारी स्कूल इन पंचायत के फतवे
पर चल रहे हैं यह बड़ी हैरानी वाली बात है। कैसे शिक्षा विभाग इन पंचायत व
नेताओं के अधीन काम कर शिक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहा है। सुनवाई के दौरान
यह बात सामने आई कि कैमरी की ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पास कर प्रिंसिपल
शालिनी संधू के व्यवहार से नाखुशी जाहिर कर उनका तबादला करने की मांग की।
इस प्रस्ताव को स्थानीय विधायक संपत सिंह द्वारा भेजा गया जिसके बाद
शालिनी संधू का तबादला कर दिया गया। इस तबादले को शालिनी ने हाईकोर्ट में
चुनौती दी। बेंच ने पंचायत, शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी व राजनेताओं इस
गठजोड़ पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर प्रिंसिपल पंचायत की गैर कानूनी मांग
मान ले तो वही सही होता, अगर नहीं मानी तो पंचायत खुश नहीं। जब स्टाफ खुश
है और बीईओ की जांच रिपोर्ट में सब कुछ ठीक ठाक है तो नेताओं व पंचायत को
खुश करने के लिए योग्य प्रिंसिपल का तबादला करना कहां कि नीति है?
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साभार: जागरण समाचार
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