लोन चुकाने के बाद आप सोच रहे होंगे कि अब आपकी जिम्मदारी समाप्त हो
गई। लेकिन, अभी आपका नो ड्यूज सर्टिफिकेट(एनडीसी) लेना जरूरी है। अगर आपने
ये सर्टिफिकेट नहीं लिया है तो दोबारा लोन लेते वक्त आप यह साबित नहीं कर
पाएंगे कि आपने पिछला लोन चुका दिया है। ग्राहक द्वारा लोन चुकाने के बाद
बैंक या अन्य कर्जदाता नो ड्यूज सर्टिफिकेट या क्लोजर लेटर जारी करते
हैं। ये सर्टिफिकेट या लेटर ही इस बात का प्रमाण होता है कि आप लोन का
भुगतान कर चुके हैं। कुछ बैंक एनडीसी के
साथ-साथ स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट भी जारी करते हैं। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com ग्राहकों को बैंक के ऐसे दस्तावेज संभाल कर रखने चाहिए। अगर बाद में ऐसे लोन को लेकर क्रेडिट स्कोर में कुछ गड़बड़ी होती है तो इसके लिए कर्ज चुकाने के बाद मिले स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट मददगार साबित होता है।
क्या करें अगर न मिले ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’: अगर आप लोन चुकाने के लिए समय से पहले नकद भुगतान करते हैं तो कर्जदाता कर्ज समाप्त होते ही आपको एनडीसी दे देते हैं। चेक के जरिए लोन का प्रीपेमेंट करने या सभी ईएमआई के भुगतान के बाद लोन खुद ही बंद हो जाता है। बैंक कर्ज लेने वाले व्यक्ति को पत्र लिखकर सूचित करता है कि वह अपने असली दस्तावेज बैंक से ले जाए। अगर ऐसी कोई चिट्ठी कर्ज लेने वाले व्यक्ति को नहीं मिलती है तो उसे कर्जदाता से संपर्क करना चाहिए। वहीं, बैंक से मिला एनडीसी अगर खो जाता है तो बैंक से संपर्क कर उसकी एक डुप्लीकेट कॉपी ले लेनी चाहिए।
दूसरे बैंक लोन के लिए मांगेंगे ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’: आम तौर पर ज्यादातर बैंक लोन आवंटित करने से पहले ग्राहक से दो साल का बैंक स्टेटमेंट मांगते हैं। अगर कर्ज देने वाले बैंक को इस स्टेटमेंट में कोई ईएमआई दिखता है तो वह आपसे उस लोन के स्टेटमेंट की मांग करेगा। क्रेडिट रिपोर्ट में भी कर्ज लेने वाले ग्राहक का पूरा चिट्ठा होता है। अलग-अलग लोन के मामले में भिन्न-भिन्न चीजों पर गौर करने की जरूरत होती है। होम लोन, कार लोन, टू-व्हीलर लोन, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी आदि के लिए अलग-अलग तरह के दस्तावेजों की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि विभिन्न लोन के मामले में कौन से दस्तावेज महत्वपूर्ण होते हैं।
होम लोन: इन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (ईसी) पर से मॉर्गेज हटवा कर अपडेट करवा लेना चाहिए अगर आप होम लोन का भुगतान कर चुके हैं। इसके लिए आप क्लोजर लेट की प्रति के साथ रजिस्ट्रार कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। ईसी इस बात का सबूत होता है कि प्रॉपर्टी पर किसी तरह का लोन नहीं है। ऐसी प्रॉपर्टी को आसानी से बेचा सकता है। इसके अलावा आपने जिस कर्जदाता से होम लोन लिया था उसके पास से अपने वे दस्तावेज लेना न भूलें जो लोन लेते समय उसे दिया था।
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी: प्रॉपर्टी के विरुद्ध लोन लेने की प्रकिया होम लोन जैसी ही है। लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी में मालिकाना हक लोन लेने वाले के पास ही होता है। हालांकि, बैंक के पास अधिकार होता है कि डिफाल्टर होने पर प्रॉपर्टी को जब्त कर लें।
कार लोन: लोन ले कर खरीदी गई कार का पंजीकरण प्रमाण पत्र (आरसी) बैंक के नाम से होता है। अगर, लोन की रकम चुका दी गई है, तो पंजीकरण प्रमाण पत्र को खरीददार के नाम करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में संपर्क करना होता है। पंजीकरण प्रमाण पत्र और इंश्योरेंस पॉलिसी के आवेदन करने के लिए बैंक से मिला हुआ क्लोजर रिपोर्ट और आवेदन पत्र देना होता है।
पर्सनल, क्रेडिट कार्ड और दूसरे तरह के लोन: इस तरह के लोन में क्लोजर पत्र (एनडीसी) मिलने के बाद समाप्त माना जाता है। लोन लेने के बाद क्रेडिट स्कोर चेक करना चाहिए। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है। लोन चुका देने पर बैंक सिबिल स्कोर मांग सकते हैं। बैंक इसके लिए 30 दिनों का समय लेता है। जब, बैंक यह जानकारी दे कि आपका सिबिल स्कोर अपडेट कर दिया गया है तो सिबिल से अपना अपडेटेड स्कोर प्राप्त कर सकते है।
साथ-साथ स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट भी जारी करते हैं। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com ग्राहकों को बैंक के ऐसे दस्तावेज संभाल कर रखने चाहिए। अगर बाद में ऐसे लोन को लेकर क्रेडिट स्कोर में कुछ गड़बड़ी होती है तो इसके लिए कर्ज चुकाने के बाद मिले स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट मददगार साबित होता है।
क्या करें अगर न मिले ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’: अगर आप लोन चुकाने के लिए समय से पहले नकद भुगतान करते हैं तो कर्जदाता कर्ज समाप्त होते ही आपको एनडीसी दे देते हैं। चेक के जरिए लोन का प्रीपेमेंट करने या सभी ईएमआई के भुगतान के बाद लोन खुद ही बंद हो जाता है। बैंक कर्ज लेने वाले व्यक्ति को पत्र लिखकर सूचित करता है कि वह अपने असली दस्तावेज बैंक से ले जाए। अगर ऐसी कोई चिट्ठी कर्ज लेने वाले व्यक्ति को नहीं मिलती है तो उसे कर्जदाता से संपर्क करना चाहिए। वहीं, बैंक से मिला एनडीसी अगर खो जाता है तो बैंक से संपर्क कर उसकी एक डुप्लीकेट कॉपी ले लेनी चाहिए।
दूसरे बैंक लोन के लिए मांगेंगे ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’: आम तौर पर ज्यादातर बैंक लोन आवंटित करने से पहले ग्राहक से दो साल का बैंक स्टेटमेंट मांगते हैं। अगर कर्ज देने वाले बैंक को इस स्टेटमेंट में कोई ईएमआई दिखता है तो वह आपसे उस लोन के स्टेटमेंट की मांग करेगा। क्रेडिट रिपोर्ट में भी कर्ज लेने वाले ग्राहक का पूरा चिट्ठा होता है। अलग-अलग लोन के मामले में भिन्न-भिन्न चीजों पर गौर करने की जरूरत होती है। होम लोन, कार लोन, टू-व्हीलर लोन, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी आदि के लिए अलग-अलग तरह के दस्तावेजों की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि विभिन्न लोन के मामले में कौन से दस्तावेज महत्वपूर्ण होते हैं।
होम लोन: इन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (ईसी) पर से मॉर्गेज हटवा कर अपडेट करवा लेना चाहिए अगर आप होम लोन का भुगतान कर चुके हैं। इसके लिए आप क्लोजर लेट की प्रति के साथ रजिस्ट्रार कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। ईसी इस बात का सबूत होता है कि प्रॉपर्टी पर किसी तरह का लोन नहीं है। ऐसी प्रॉपर्टी को आसानी से बेचा सकता है। इसके अलावा आपने जिस कर्जदाता से होम लोन लिया था उसके पास से अपने वे दस्तावेज लेना न भूलें जो लोन लेते समय उसे दिया था।
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी: प्रॉपर्टी के विरुद्ध लोन लेने की प्रकिया होम लोन जैसी ही है। लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी में मालिकाना हक लोन लेने वाले के पास ही होता है। हालांकि, बैंक के पास अधिकार होता है कि डिफाल्टर होने पर प्रॉपर्टी को जब्त कर लें।
कार लोन: लोन ले कर खरीदी गई कार का पंजीकरण प्रमाण पत्र (आरसी) बैंक के नाम से होता है। अगर, लोन की रकम चुका दी गई है, तो पंजीकरण प्रमाण पत्र को खरीददार के नाम करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में संपर्क करना होता है। पंजीकरण प्रमाण पत्र और इंश्योरेंस पॉलिसी के आवेदन करने के लिए बैंक से मिला हुआ क्लोजर रिपोर्ट और आवेदन पत्र देना होता है।
पर्सनल, क्रेडिट कार्ड और दूसरे तरह के लोन: इस तरह के लोन में क्लोजर पत्र (एनडीसी) मिलने के बाद समाप्त माना जाता है। लोन लेने के बाद क्रेडिट स्कोर चेक करना चाहिए। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है। लोन चुका देने पर बैंक सिबिल स्कोर मांग सकते हैं। बैंक इसके लिए 30 दिनों का समय लेता है। जब, बैंक यह जानकारी दे कि आपका सिबिल स्कोर अपडेट कर दिया गया है तो सिबिल से अपना अपडेटेड स्कोर प्राप्त कर सकते है।
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साभार: भास्कर समाचार
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