आने वाले दिनों में अगर वाहन मालिक को गाड़ी का प्रदूषण स्तर नियंत्रित होने का वैध प्रमाण पत्र नहीं मिला तो सालाना इंश्योरेंस नवीकरण (रिन्यू) नहीं हो पाएगा। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण पर काबू पाने के
लिए बीमा कंपनियों को वैध प्रदूषण प्रमाण पत्र के बगैर गाड़ियों का इंश्योरेंस नवीकरण नहीं करने का आदेश दिया। इतना ही नहीं शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह के भीतर सभी पेट्रोल पंपों पर प्रदूषण नियंत्रण केंद्र स्थापित करना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इससे वाहनों में प्रदूषण स्तर की नियमित जांच हो सकेगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र के बगैर इंश्योरेंस नवीकरण न होने का आदेश सभी गाड़ियों पर लागू होगा इसमें दुपहिया वाहन भी शामिल हैं। यह आदेश जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील एवं पर्यावरणविद एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। शीर्ष कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मामले में पर्यावरण संरक्षण अथारिटी इप्का की रिपोर्ट में दिए गए सुझाव और सरकार की दलीलें सुनने के बाद आदेश दिया। हालांकि सरकार की ओर से पेश सालिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने गाड़ी का इंश्योरेंस रिन्यू करने के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र को अनिवार्य किए जाने का विरोध किया। उन्होंने कहा दोनों चीजें अलग अलग हैं। इंश्योरेंस सालाना रिन्यू होता है जबकि प्रदूषण प्रमाण पत्र तिमाही जारी होता है। लेकिन दूसरी ओर न्यायालय की मददगार वकील अपराजिता का कहना था कि ऐसा होने से कोई बाधा उत्पन्न नहीं होगी। 1कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों की नियमित निगरानी की व्यवस्था करे ताकि गाड़ियों का उत्सर्जन मानक नियंत्रण में रहे। इप्का की रिपोर्ट में कहा गया था कि 96 फीसद गाड़ियां प्रदूषण जांच में पास हो जाती हैं। हालांकि सरकार ने कहा कि आनलाइन मानीटरिंग सिस्टम तैयार किया जा रहा है।
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साभार: जागरण समाचार
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