हरियाणा शिक्षा विभाग का कोई भी शिक्षक कर्मचारी न्याय मांगने के लिए अब सीधे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में नहीं जा पाएगा। विभाग ने कई सालों से लंबित चल रहे केसों का बोझ कम करने की दिशा में पहल
करते हुए एक कमेटी बनाई है। कोर्ट जाने से पहले विभाग के कर्मचारी को इस कमेटी के सामने पेश होकर अपनी बात रखनी होगी। एक सप्ताह के भीतर ही कमेटी अपना फैसला सुना देगी। इसके लिए विभाग के एसीएस पीके दास ने आदेश जारी किए है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वर्तमान में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने अपने विभाग के खिलाफ ही हजारों की संख्या में हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की हुई है। जिनकी सुनवाई के लिए कर्मचारी अधिकारियों को दोनों को ही कोर्ट जाना पड़ता है। कोर्ट में याचिका की सुनवाई के चलते अधिकारी अपना काम नहीं कर पा रहे है और शिक्षा विभाग का रूटीन कार्य प्रभावित हो रहा है। इसी को देखते हुए विभाग के एडिशन चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने लिटिगेशन-मिटिगेशन कमेटी बनाई है। एडिशन डायरेक्टर (प्रशासनिक) को चेयरमैन लॉ आॅफिसर चीफ अकाउंट आॅफिसर को सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी के पास कर्मचारी की शिकायत पर सुनवाई होगी। विभाग के किसी कर्मचारी को लगता है तो उसे मिलने वाले लाभ नहीं मिल रहे है तो इस कमेटी में पर्सनल सुनवाई करवा पाएगा।
यदि शिकायत ऑडिट सैल से जुड़ी होगी तो पूरा मामला उसी सैल को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। अगले दो दिन के भीतर ऑडिट सैल अपनी रिपोर्ट कमेटी को देगा। इसी तरह शिकायत से लॉ प्वाईंट से जुड़ी है तो लीगल सैल जांच करेगा। उसके बाद कमेटी अपना फैसला देगी। फैसले से संतुष्ट होने पर ही कर्मचारी हाईकोर्ट जा पाएगा।
डीईओ दयानंद सिहाग ने बताया कि शिक्षा विभाग के एसीएस ने लिटिगेशन-मिटिगेशन कमेटी बनाई है। हाईकोर्ट जाने से पहले विभाग के कर्मचारियों को अपनी बात कमेटी के पास रखनी होगी। सुनवाई के एक सप्ताह के भीतर कमेटी अपना फैसला सुना देगी। यह प्रयास है और इससे कर्मचारियों को जल्दी न्याय मिलेगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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