सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्नन को 6 माह जेल की सजा सुनाई। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय संविधान पीठ ने उन्हें अवमानना का दोषी माना। कोर्ट ने
प. बंगाल के डीजीपी को जस्टिस कर्नन को तुरंत जेल भेजने का आदेश दिया। लेकिन इसके तुरंत बाद जस्टिस कर्नन कोलकाता छोड़ चेन्नई पहुंच गए। देश में यह पहला मौका है, जब अवमानना मामले में हाईकोर्ट के किसी जज को जेल की सजा सुनाई गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मद्रास हाईकोर्ट की तरफ से पेश एडवोकेट केके वेणुगोपाल ने दलील देते हुए कहा कि उन्हें बख्श दिया जाए। अगर उन्हें जेल भेजा तो सुप्रीम कोर्ट पर सिटिंग जज को जेल भेजने का कलंक लग जाएगा।' चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा- कलंक तो तब लगेगा, जब अवमानना के दोषी को सिर्फ इसलिए बख्श दें, क्योंकि वह हाईकोर्ट का जज है।' जस्टिस कर्नन ने 20 जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना का केस शुरू किया था।
सात सदस्यीय बेंच ने महज 15 मिनट में सुनवाई पूरी करते हुए जस्टिस कर्नन को सजा सुना दी।
राकेशद्विवेदी (प. बंगाल के वकील): सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मेडिकल टीम जस्टिस कर्नन के घर गई थी। पर उन्होंने जांच करवाने से मना कर दिया। लिखित में दिया कि उनकी दिमागी हालत सही है।
मनिंदरसिंह (एडिशनल सॉलीसिटर जनरल): जस्टिसकर्नन जानबूझ कर अदालत की अवमानना कर रहे हैं। उनके बयानों और फैसलों से न्यायपालिका की बदनामी हो रही है। कोर्ट को उन्हें सजा देनी ही चाहिए।
केकेवेणुगोपाल (मद्रास हाईकोर्ट की तरफ से): अगर सुप्रीम कोर्ट उन्हें जेल भेजती है तो उस पर एक सिटिंग जज को जेल भेजने का कलंक लगेगा। उन्हें बख्श दंे।
जे एस खेहर (चीफ जस्टिस): कलंक तो तब लगेगा, जब हम उन्हें बख्स देंगे। कहा जाएगा कि अवमानना करने वाले व्यक्ति को सिर्फ इसलिए बख्श दिया, क्योंकि वह हाईकोर्ट का सिटिंग जज है। न्याय करते समय यह नहीं देखा जाता कि आरोपी जज है या आम आदमी।
इसकेबाद संविधान पीठ ने अवमानना केस में जस्टिस कर्नन को दोषी करार देते हुए 6 माह कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस कर्नन को बचाव का पूरा मौका दिया गया। सजा इसलिए दी जा रही है, क्योंकि उन्होंने खुद माना कि उनकी दिमागी हालत ठीक है। फिर भी उन्होंने कोर्ट की अवमानना की।
जस्टिस कर्नन के बयान और विवादित अमान्य फैसले प्रकाशित करने पर रोक: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा, जस्टिस कर्नन के बयान और विवादित अमान्य फैसले मीडिया में प्रकाशित होने से न्यायपालिका की गलत छवि बन रही है। अगर किसी ने भविष्य में जस्टिस कर्नन के बयान प्रकाशित किए तो यह अदालत की अवमानना माना जाएगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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