बढ़ती समृद्धि और बढ़ते वैश्वीकरण के साथ उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले भारतीयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इंडिया स्टूडेंट मोबिलिटी रिपोर्ट, 2016 के मुताबिक पिछले वर्ष भारत से करीब 3 लाख 60 हजार भारतीय छात्र शिक्षा के लिए विदेश गए। हालांकि हर साल कॉलेज मंे प्रवेश लेने वालों की अपेक्षा यह संख्या
बहुत कम है। इनमें से करीब एक तिहाई छात्र मास्टर कोर्स करने के लिए विदेश जाते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। लेकिन अक्सर छात्रों के लिए यह फैसला करना मुश्किल होता है कि मास्टर कोर्स के लिए विदेश जाएं या नहीं। इसके लिए कुछ बातें आपको दिमाग मंे रखनी होंगी जैसे कि रुचि, लक्ष्य, कॅरिअर के लॉन्ग टर्म प्लान आदि।
खुद को समझना: मास्टर डिग्री कोर्स स्पेशलाइज्ड कोर्स होता है। इसे चुनने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि क्या यह कोर्स आपके लिए सही है? यह भी सोच लें कि क्या यह सही समय है? विदेशों में मास्टर प्रोग्राम और खासकर एमबीए मंे प्रवेश के लिए कम से कम 2 वर्ष का वर्किंग एक्सपीरियंस जरूरी होता है। आपको अपने लर्निंग स्टाइल का भी अध्ययन करना होगा। विदेशों में कई कॉलेजों मंे छात्रों को प्री वर्क और सेल्फ स्टडी ज्यादा करनी पड़ती है। इसके अलावा विदेशों मंे पढ़ाई का तरीका भारतीय तरीके के मुकाबले कहीं ज्यादा व्यावहारिक होता है। यदि आप प्रैक्टिकल स्टडी पसंद करते हैं, तो विदेशी संस्थानों मंे आपको ज्यादा परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही आपको अपने भविष्य के प्लान के बारे में भी सोचना होगा। क्या आप विदेश में ही रहना चाहते हैं या फिर लौटकर भारत आना चाहेंगे। आप इसके लिए कितना खर्च करना चाहते हैं।
सही कोर्स का चुनाव: कोर्सया कॉलेज का चुनाव करने से पहले पता कर लें कि फैकल्टी कैसी है, पढ़ाने के तरीके क्या हैं? सिलेबस और प्लेसमेंट प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकरी लें। यह भी पता कर लें कि क्या यह प्रोग्राम भारत में मौजूद है? क्या इससे जुड़ी नौकरियों की संभावनाएं देश में हैं? कॉलेज या संस्थान से पढ़ चुके छात्रों से राय लेना भी अच्छा हो सकता है। मास्टर डिग्री के लिए होने वाले खर्च को भी ध्यान में रखें। जहां तक ब्रिटेन की बात है, वहां मास्टर डिग्री का औसत खर्च 20 हजार डॉलर और इस दौरान एक साल का रहने का खर्च 18-20 हजार डॉलर तक आता है। इसी तरह अमेरिका मंे रहने का खर्च 8 हजार से 20 हजार डॉलर तक हो सकता है।
एप्लीकेशन में अपना बेस्ट दें: विदेशी संस्थानों में एडमिशन का फैसला लेने के बाद इसके लिए खास तैयारी करनी होती है। विदेशों में एप्लीकेशन को मार्कशीट से ज्यादा महत्व दिया जाता है। क्या आपके रेज्यूमे में एक्स्ट्रा कॅरिकुलर एक्टिविटीज़ का जिक्र है? इसके अलावा आपको एक रिकमंडेशन लेटर की जरूरत भी होगी। अपने एकेडमिक बैकग्राउंड और कॅरिअर की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताना होगा। आपको जीमैट, जीआरई या टॉफेल जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करनी होगी। आपको आवेदन की करीब 6 महीने पहले से तैयारी शुरू करनी होगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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