प्रमोशन में आरक्षण की नीति को रद करने के पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की
एकल बेंच के फैसले को हरियाणा सरकार ने डिवीजन बेंच में अपील दायर कर
चुनौती दी है। मंगलवार को सरकार की तरफ से पेश वकील ने डिवीजन बेंच को
बताया कि सरकार एससी कैटेगेरी के तीसरी और चौथी श्रेणी के कर्मचारियों के
पदों पर प्रमोशन के लिए आरक्षण देने के पक्ष में है। सरकार की तरफ से पेश
वकील ने यह भी कहा कि कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया जा चुका है।
सिंगल
बेंच के फैसले को चुनौती देने के लिए कोर्ट की रजिस्ट्री में अपील
दायर की गई है, जिसमें कुछ आपत्तियां थी। ये जल्द ही क्लीयर हो जाएंगी।
हालांकि सुनवाई के दौरान अन्य अपील कर्ताओं की ओर से सिंगल बेंच के फैसले
पर स्टे की मांग की गई थी जिस पर कोर्ट ने स्थगन आदेश देने से इंकार कर
दिया। मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तिथि निर्धारित की गई
है। मामले की पिछली सुनवाई में सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने अर्जी लगाकर
इस मामले में प्रतिवादी बनने की मांग थी। इसके बाद उनको प्रतिवादी बनाते
हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया था। बेंच ने स्पष्ट
किया था कि अगर सरकार इन कर्मचारियों को डिमोट करती है और उनकी जगह
सामान्य श्रेणी के कर्मचारी को प्रमोशन देती है तो सामान्य श्रेणी का
कर्मचारी उस पद पर समानता का दावा पेश नहीं करेगा। शिक्षा विभाग के करीब
तीन सौ से ज्यादा कर्मचारियों की तरफ से दायर अपील में एकल बेंच के आदेश पर
रोक लगाने की मांग की गई थी। बहस के दौरान याचिकाकर्ता के वकील कर्मवीर
बनयाना ने डिवीजन बेंच को बताया कि एकल बेंच का आदेश कानूनन सही नहीं है
क्योंकि प्रभावित कर्मचारियों को उस मामले में प्रतिवादी ही नहीं बनाया
गया। एकल बेंच को अपना फैसला सुनाने से पहले उनका पक्ष भी सुनना चाहिए था,
लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसलिए इस पर तुरंत रोक लगाकर उनका पक्ष भी सुना
जाए।
क्या है मामला: एकल बेंच ने 14 नवंबर को अपने आदेश में हरियाणा सरकार
की उस नीति को रद कर दिया था जिसके तहत ग्रुप सी व डी के एससी कर्मचारियों
को प्रमोशन में आरक्षण दिया गया था। इसी के साथ हाईकोर्ट ने सरकार को
निर्देश दिया है कि वो तीन महीने के भीतर इस नीति के तहत आरक्षण लेकर
प्रमोशन पाए कर्मचारियों को डिमोट करे। हाई कोर्ट ने यह आदेश धर्मपाल सिंह व
अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था। इस मामले में
याचिकाकर्ता ने हरियाणा सरकार द्वारा 2006 से 2013 में लाई गई नीति को
चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के
आदेश को अनदेखा कर व राजनैतिक फायदे के लिए एससी वर्ग के ग्रुप सी व डी के
कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दे रही हैं, जो उचित नही है। इससे अन्य
वर्ग के कर्मचारियों को नुकसान होगा। याचिका में बताया गया कि इससे पहले
ओबीसी वर्ग को भी प्रमोशन में आरक्षण दिया जाता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश
उपरांत 1997 में ओबीसी वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण देना बंद कर दिया गया
था, लेकिन सरकार ने 2006 के बाद कई नीति लागू कर एससी वर्ग के कर्मचारियों
को प्रमोशन देना शुरू कर दिया। यह कानूनन गलत हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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