Tuesday, February 3, 2015

पाकिस्तान में हथियार चलाने का प्रशिक्षण ले रहीं शिक्षिकाएं

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पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी इलाका, जहां बच्चों को पढ़ाने वाली फातिमा बीबी निर्देश मिलते ही गोलियां दागती हैं और हर बार अचूक निशाना लगाती हैं। इसके बाद वह बंदूक अपनी सहयोगी शिक्षिका को थमाती हैं और मुस्कुरा देती हैं। उनका प्रशिक्षक भी मुस्कुराता है। यह पूरा वाकया उन महिला शिक्षिकाओं की कहानी बयां
करने वाला है, जो सिर्फ शौकिया हथियार चलाना नहीं सीख रही हैं। बल्कि इसके पीछे उनका एक खास मकसद है और वो मकसद है स्कूल-कॉलेजों पर किसी भी तरह के हमले की स्थिति में आतंकियों को निशाना बनाना। पेशावर के सैन्य स्कूल पर तालिबान के भयावह हमले के बाद महिला शिक्षिकाओं ने आतंकियों से निपटने के लिए अपने हाथों में हथियार उठाने का फैसला किया है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में महिला शिक्षिकाओं को बाकायदा हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और यह काम स्थानीय पुलिस कर रही है। फातिमा बीबी भी फ्रंटियर कॉलेज फॉर वुमन की उन आठ महिला शिक्षिकाओं में से एक हैं, जिन्होंने हाल में प्रांतीय पुलिस फायरिंग रेंज में हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया। उन्हें छिपाकर हथियार रखने की भी इजाजत मिली है। अन्य शिक्षिका नहीद हुसैन ने बताया कि पेशावर सैन्य स्कूल पर हमले के बाद अहसास हुआ कि हमें अपने और अपने छात्रों की सुरक्षा के लिए खुद को सक्षम बनाने की जरूरत है। पुलिस प्रशिक्षक अब्दुल लतीफ ने बताया कि ये महिलाएं कुछ जवानों से भी बेहतर निशाना लगाती हैं। उन्होंने सिर्फ दो दिन में ही बंदूक चलाना सीख लिया। उनका आत्मविश्वास काबिल-ए-तारीफ है। उन्होंने पिस्तौल से लेकर राइफल तक से अचूक निशाना लगाना सीखा। उन्होंने आत्मरक्षा की तकनीकों के साथ ही स्कूल पर आतंकी हमले की स्थिति में छात्रों को बचाने के उपायों पर भी चर्चा की। 
उठ रहे विरोध के सुर: हालांकि महिला शिक्षिकाओं के हथियार उठाने से कई अभिभावक चिंतित भी हैं। उनका कहना है कि स्कूल और कॉलेजों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है, न कि इन शिक्षिकाओं की। ज्यादातर शिक्षाविदों ने भी इसका विरोध किया है। ऑल प्राइमरी स्कूल्स टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मलिक खालिद खान ने कहा कि हम एक हाथ में किताब और एक हाथ में हथियार लेकर कैसे पढ़ा सकते हैं। 
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साभार: अमर उजाला समाचार
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