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बोगस एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) मामले में
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने 3125 परीक्षार्थियों का रिजल्ट रद करने
का फैसला लिया है। इन बच्चों को ‘राहत’ देने के तत्कालीन चेयरमैन के फैसले
की पुष्टि (कनफर्मेशन) से इनकार करने के बाद यह कड़ा कदम उठाया गया। शिक्षा
बोर्ड के इतिहास में संभवतया यह
पहला मौका है, जब बोर्ड को अपने चेयरमैन
के फैसले को पलटने का निर्णय लेना पड़ा। ये
बच्चे प्रदेश के 455 स्कूलों के हैं और ज्यादातर पलवल, फरीदाबाद जिलों से
हैं। पिछले शैक्षणिक सत्र में दसवीं कक्षा में रेगुलर विद्यार्थी के तौर पर
इन विद्यार्थियों के आवेदन शिक्षा बोर्ड आए थे। बोर्ड ने छानबीन की तो
इनके एसएलसी बोगस पाए गए। ये सर्टिफिकेट उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्कूलों
की ओर से जारी हुए थे। उस समय यह तय लग रहा था कि इन स्कूलों व
विद्यार्थियों पर कार्रवाई होगी। लेकिन, बोर्ड ने कार्रवाई की बजाय
आश्चर्यजनक रूप से इन्हें राहत देते हुए रेगुलर से हटा कर हरियाणा स्कूल
ओपन में शिफ्ट कर दिया और बीते साल अक्तूबर महीने में इनका परीक्षा परिणाम
भी घोषित कर दिया। हरियाणा ओपन स्कूल में शिफ्ट करने के एवज में बोर्ड ने
हर बच्चे से 600 रुपये फीस भी ली। इस मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब
बोर्ड ने अपने पूर्ववर्ती फैसले को पलटते हुए इन बच्चों को राहत देने के
निर्णय को अनुमोदित करने से इनकार कर दिया और प्रदेश के 3125 विद्यार्थियों
का रिजल्ट निरस्त कर दिया।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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