सिक्किम के डोकलाम सेक्टर में जारी तनातनी के बीच चीनी सैनिकों ने जुलाई महीने में उत्तराखंड के बाराहोती में दो बार भारतीय इलाके में घुसपैठ की। हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने ऐसी खबरों को ज्यादा तूल देते हुए
कहा कि एलएसी पर मतभेदों के चलते पहले भी ऐसी घटनाएं होती रही हैं। सूत्रों के मुताबिक भारत के एनएसए अजीत डोभाल की चीन यात्रा से एक दिन पहले 25 जुलाई की सुबह 15-20 चीनी सैनिक चमोली जिले में भारतीय क्षेत्र में 800 मीटर अंदर तक घुस आए थे। यह लोग करीब दाे घंटे तक यहां रुके। यहां जानवर चरा रहे चरवाहों को धमकाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि,आईटीबीपी जवानों के विरोध जताने पर करीब दो घंटे बाद वह लौट गए। इससे पहले 15 जुलाई को भी इसी इलाके में 15-20 चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी। आईटीबीपी के एक अधिकारी ने कहा कि अक्सर चीनी सैनिक भारतीय इलाके में आते हैं और कुछ देर रुककर लौट जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह रूटीन तो नहीं है, लेकिन इतनी अनोखी बात भी नहीं है। बता दें कि सिक्किम के डोकलाम में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच करीब डेढ़ महीने से तनाव जारी है। बाराहोती उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 140 किमी दूर 80 वर्ग किमी में फैला ढलान वाला चारागाह है। इसे मिडिल सेक्टर कहते हैं, जिसमें यूपी, हिमाचल और उत्तराखंड की 3 बॉर्डर पोस्ट शामिल हैं। भारत-चीन ने 1958 में इसे विवादित क्षेत्र माना था। यहां किसी के भी सैनिक नहीं जाते थे। 1962 के युद्ध में भी पीएलए मिडिल सेक्टर में नहीं घुसी थी। युद्ध के बाद आईटीबीपी जवान बंदूक की नाल नीचे करके यहां गश्त करते थे। जून 2000 में वार्ता के दौरान फैसला हुआ कि आईटीबीपी जवान बाराहोती हिमाचल स्थित कौरिल और शिपकी में हथियार लेकर नहीं जाएंगे। जवान यहां सादी वर्दी में पैट्रोलिंग करते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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