हाईकोर्ट के आदेश पर बनाई नई सामूहिक सूची में 1259 नव चयनित जेबीटी को शामिल नहीं किया गया। अब शिक्षा निदेशालय की ओर से इनको नौकरी छोड़ने के नोटिस दिए जा रहे हैं। इनमें से 745 ने पुरानी नौकरी छोड़ी
है। 745 में से 470 ऐसे हैं, जो विभिन्न सरकारी विभागों में कार्यरत थे और रिजाइन भी दे चुके हैं। अब दोनों ही रोजगार छिनते देख जेबीटी पंचकूला में मंगलवार से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि वे नौकरी मिलने के बाद ही उठेंगे। इनका कहना है कि वो अपनी पुरानी नौकरी भी छोड़ आए हैं और अब उन्हें अगर यह भी छोड़नी पड़ गई तो कैसे गुजारा चला पाएंगे। इसलिए अब इन्होंने फिर से हाईकोर्ट में याचिका दी है। इस मामले में आज गुरुवार को सुनवाई होनी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 2011 में एचटेट करने वाले उम्मीदवारों में से 9870 को उस उस समय जेबीटी की नौकरी दी गई है, लेकिन बाद 2013 में करीब 2500 ने एस्टेट पास किया तो उन्होंने कहा कि 2012 में एस्टेट नहीं करवाया गया इसलिए वे इस नौकरी का फायदा नहीं ले पाए और वो कोर्ट चले गए। दोनों मामले हाईकोर्ट में चले। अब अप्रैल माह में हाईकोर्ट ने नवचयनित 9870 जेबीटी को जॉइन कराने के लिए सरकार को आदेश दे दिए। विभाग ने जिला मुख्यालयों पर जॉइनिंग करा दी गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि सरकार नव चयनित जेबीटी और 2013 के एस्टेट पास करने वालों की जॉइंट मेरिट लिस्ट बनाए और अधिकतम 9870 को ही जॉइनिंग दी जाए। शिक्षा विभाग ने सामूहिक सूची बनाई तो प्रदेश के 1059 जेबीटी के नाम शामिल नहीं थे और इनमें 200 मेवात कैडर के हैं। शिक्षा निदेशालय ने अब इन्हें नौकरी छोड़ने के नोटिस जारी कर दिए हैं।
जेबीटी के लिए नौकरी छोड़ने वालों में ज्यादातर रोडवेज के कर्मचारी: जिन जेबीटी के नाम नई मेरिट लिस्ट में नहीं आए और नौकरी छोड़नी होगी। इनमें 745 ऐसे हैं जो सरकारी या प्राइवेट नौकरी छोड़कर आए हैं। इसमें से 470 ऐसे हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ी है। इनमें सबसे ज्यादा हरियाणा रोडवेज से आए हैं, जिनकी संख्या 320 है। इनमें कंडक्टर, क्लर्क भी है। इनमें कुछ गेस्ट टीचर सरकारी विभागों के कर्मचारी शामिल है।
हमारे भी बच्चे हैं, कैसे पालेंगे: निकाले गए जेबीटी राजेश कुमार ने बताया कि उसने मेहनत करने जेबीटी की नौकरी पाई। इसका मामला कोर्ट में चला गया तो रोडवेज की नौकरी के लिएमेहनत की और काफी वर्षों से नौकरी कर रहा था। अब जेबीटी लगने के लिए रोडवेज से रिजाइन दे दिया। अब जेबीटी की लिस्ट से भी बाहर कर दिया। हमने इतनी मेहनत करके दोनों नौकरी पाई हैं, अब दोनों ही चली गई। इसमें हमारा क्या कसूर है, हमारे भी घरों में बच्चे हैं, उन्हें कैसे पालेंगे। इसलिए कोर्ट और सरकार को हमारे परिवारों की तरफ देखकर निर्णय लेना चाहिए।
यह मामला कोर्ट में है - परिवहन मंत्री: हमने किसी को नौकरी से रिजाइन देने के लिए नहीं कहा, बल्कि जेबीटी लगने के लिए हमारे कर्मचारी खुद रिजाइन देकर गए थे। जिससे हमें अचानक बसें तक रोकनी पड़ी और कर्मचारियों की कमी हो गई। अब वो जेबीटी नहीं लग पाए तो यहां वापस आना चाहते हैं। उन्होंने हाईकोर्ट में भी याचिका लगा रखी है। जब तक हाईकोर्ट से कोई निर्णय नहीं मिलता तब तक इस बारे में कोई विचार नहीं हो सकता। कोर्ट के निर्णय के बाद सोचा जाएगा, लेकिन दोबारा जॉइन कराना बहुत मुश्किल है। - कृष्ण लाल पंवार, परिवहन मंत्री।
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साभार: जागरण समाचार
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