पहली से आठवीं तक के मंथली असेस्मेंट टेस्ट के प्रश्नपत्र की छपाई करने वाले प्रिंटर का भुगतान शिक्षा विभाग ने अगस्त से नहीं किया। भुगतान अटकता देख कर 7 जिलों के प्रिंटर ने प्रश्न पत्र छापने से इनकार कर दिया। मौलिक शिक्षा निदेशालय 21 जिलों के प्रिंटर से प्रश्न पत्र छपवा रहा है, इसका चार करोड़ रुपए का भुगतान
बकाया है। पहली से आठवीं तक करीब 20 लाख छात्र हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आठ विषयों के पेपरों की छपाई होती है। स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च ट्रेनिंग सेंटर गुरुग्राम ने 4 नंवबर को जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को सीडी जारी करके पेपर छपवाने को कहा है, लेकिन सोनीपत, पानीपत, भिवानी, जींद, रोहतक, हिसार और कैथल जिलों के प्रिंटर ने इसे छापने से मना कर दिया। प्रिंटर सुरेंद्र, हरीश संजय बंसल ने कहा कि पहले 15 दिन के भीतर भुगतान हो जाता था।
यह टेस्ट हर माह आयोजित होते हैं। प्रत्येक जिला खुद ही प्रश्न पत्र छपवाता है। इसमें दिक्कत यह रही कि प्रश्नपत्र की छपाई के रेट में अंतर गया। इस पर ऑडिट आॅब्जेक्शन लगा। इसके बाद से भुगतान पर रोक लगा हुआ है। प्रिंटर का कहना है कि क्योंकि टेंडर प्रक्रिया के बाद ही उन्हें काम मिलता है। हर जिले में रेट अलग अलग हो सकता है। इसके बाद भी यदि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का यह लगता है कि इसमें गड़बड़ है तो कम से कम उनका वह भुगतान कर दिया जाए जो उन्होंने काम कर दिया। उनका कहना है कि वे समय पर पेपर छाप कर देते हैं, लेकिन शिक्षा विभाग उनका बकाया लटका कर परेशानी में डाल रहा है, जिसके चलते उन्हें आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा है।
मंगाया गया रेट का ब्योरा: मौलिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को 4 अक्टूबर 2016 को पत्र लिखकर 30 अगस्त 2016 से 31 मार्च 2017 तक खर्च का ब्योरा तीन दिनों के भीतर मांगा था। कई जगह से यह ब्योरा भी नहीं आया। जिससे अंतर को देखा जा सके।
समय पर होंगे टेस्ट: शिक्षा विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पीके दास ने बताया कि टेस्ट समय पर होंगे। प्रिंटर्स का भुगतान इसी सप्ताह कर दिया जाएगा। विभाग की अपनी जो भी जांच है वह चलती रहेगी, लेकिन इसका असर टेस्ट पर नहीं पड़ेगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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