Thursday, August 4, 2016

जाट आरक्षण पर रोक जारी: MDU को नोटिस जारी

जाट आरक्षण पर रोक के खिलाफ हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में अपनी बहस पूरी कर ली है। अब अगली सुनवाई पर याची व इस मामले में अन्य पक्षकार अपना अपना पक्ष रखेगें। बुधवार को हरियाणा सरकार के वकील ने कोर्ट में बताया कि जाटों को आरक्षण देने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली
याचिकाएं आधार विहीन है। हरियाणा सरकार ने कहा कि जाटों को किसी प्रशासनिक आदेश के माध्यम से नहीं बल्कि कानून बनाकर आरक्षण दिया गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पूर्व के आदेशों के माध्यम से हरियाणा सरकार ने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भौगोलिक क्षेत्र और सांस्कृतिक विभिन्नता है। ऐसे में आरक्षण का खाका पूरे देश में एक जैसा हो यह जरूरी नहीं है। सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भी इस बात को मान चुका है कि यदि किसी समुदाय विशेष को आरक्षण की जरूरत सरकार महसूस करती है तो ऐसी स्थिति में आरक्षण दिया जा सकता है। आरक्षण की अधिकतम सीमा के 50 प्रतिशत होने पर भी हरियाणा सरकार ने आपत्ति जताते हुए कहा कि तमिलनाडु में 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है और इस व्यवस्था को कमीशन के माध्यम से लागू किया गया है। हालांकि इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जा चुका है लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई है। सरकार ने कहा कि हरियाणा सरकार ने भी पूरी प्रRिया का पालन करते हुए कानून बनाया और कमीशन का गठन किया इसके बाद आरक्षण का लाभ दिया गया है ऐसे में 50 प्रतिशत की सीमा लांघी जा सकती है। पीठ ने सरकारी वकील की दलील सुनने के बाद सरकार जाटों सहित 6 जातियों को आरक्षण देने के लिए बनाए गए एक्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसी क्या जल्दी थी कि स्टेट बैकवर्ड कमीशन बनाने से पहले ही इसे पास कर दिया गया।
पॉपर तरीके से कमीशन बनाने के बाद रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आरक्षण देने का प्रावधान भी किया जा सकता था। साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि आखिर किन आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए इन छह जातियों को आरक्षण लाभ दिया गया वह भी अगली सुनवाई के दौरान सौंपा जाए।
हाईकोर्ट ने विवि से मांगा जवाब: जाटों को आरक्षण देने के लिए एमडीयू यूनिवर्सिटी की जिस सर्वे रिपोर्ट को आधार बनाया गया उस रिपोर्ट को चुनौती देने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। इस याचिका में कहा गया कि यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया सर्वे केवल कागजों में था और यह सर्वे केवल कुछ विशेष जातियों को लाभ पहुंचाने के लिए तैयार किया गया था। ऐसे में इस सर्वे को और सर्वे पर आधारित केसी गुप्ता आयोग की रिपोर्ट को खारिज किया जाए। हाईकोर्ट ने याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी कर दिया है।
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साभारजागरण समाचार 
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