जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को कश्मीर समस्या के राजनीतिक हल के लिए बातचीत पर जोर देते हुए कहा, ‘कश्मीर के 95 प्रतिशत लोग शांति, बातचीत और सम्मानजनक जिंदगी चाहते हैं। समस्या के समाधान में रुकावट डालने वाले तत्व ही हिंसा को भड़का रहे हैं। यह सिर्फ पांच प्रतिशत ही हैं और
इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। हम जन्नत को जहन्नुम बनाने की इजाजत नहीं देंगे।’ यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता के दौरान महबूबा ने अलगाववादियों को एक तरह से आईना दिखा दिया। कहा, ‘कश्मीर में मारे गए लोग दूध या टॉफी खरीदने नहीं गए थे। सुरक्षा बलों को गोलियां आत्मरक्षा के लिए चलानी पड़ीं।’ इस बीच वर्ष 2010 और 2016 की तुलना जैसे सवालों पर महबूबा का धैर्य जाता रहा। राजनाथ सिंह ने शांत करने की कोशिश की। लेकिन वह प्रेस कांफ्रेंस छोड़कर उठ गईं। इससे पूर्व महबूबा ने कहा कि 2010 में यहां वामिक फारूक, तुफैल मट्टू जैसे छात्रों की नाहक हत्या हुई थी। मच्छल में फर्जी मुठभेड़ हुई थी। उससे पहले दो युवतियों की कथित सामूहिक दुष्कर्म के बाद रहस्यमय मौत व क्रिकेट खेल रहे बच्चों पर गोली चली थी। उस समय जो हो रहा था, उसके लिए सरकार जिम्मेदार थी। लेकिन इस बार तीन आतंकियों की मौत पर हिंसा भड़की है। आतंकी पहले भी मारे गए हैं, तब क्यों इस तरह ¨हसा नहीं हुई। आतंकी आगे भी मारे जाएंगे। हमने हालात पर काबू पाने के लिए कफ्यरू भी लगाया था, लेकिन उसे तोड़ा गया। सुरक्षाबलों के कैंपों पर हमले हुए। आप ही बताएं, क्या लड़के सेना के कैंप में टॉफी लेने गए थे। दमहाल हांजीपोरा में पुलिस स्टेशन पर हमला करने वालों में शामिल 15 साल का लड़का क्या वहां दूध लेने गया था। सुरक्षाबलों को आत्मरक्षा और हालात पर काबू पाने के लिए गोली चलानी पड़ी है। आप 2010 और 2016 की आपस में तुलना नहीं कर सकते। जवाब देने के क्रम में जब महबूबा की पत्रकारों से तू-तू मैं-मैं से बढ़ते तनाव को कम करने के लिए राजनाथ ने कहा कि अरे महबूबा जी तो आपके घर की हैं, इनसे बाद में भी बात हो सकती। लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी और पूरी तरह उत्तेजित नजर आ रही महबूबा ने प्रेस कांफ्रेंस को समाप्त करने का संकेत देते हुए पत्रकारों से कहा-‘बहुत हो गया, अब आप चाय पीजिए।’ महबूबा के चल देने पर राजनाथ सिंह भी मुस्कराते हुए चुपचाप उठे और वहां से चल पड़े।
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साभार: जागरण समाचार
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