हजारों की संख्या में मौजूद लोग। बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी। सबकी आंखों में खुशी के आंसू। लव पर दुआएं। किसी एक के नहीं बल्कि हजारों लोगों के चेहरों पर। जो हरियाणा दिल्ली की सीमा पर खड़े थे। हरियाणा की बेटी
के स्वागत के लिए। वह बेटी जो रियो ओलंपिक में पहले पदक की साक्षी बनी। देश की खाली झोली खुशियों से भरी और हर हरियाणावी का माथा गर्व से ऊंचा किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जाहिर है कि उस बेटी के स्वागत में हरियाणा को बिछ जाना था। बिछ भी गया। रियो में कांस्य पदक जीत कुश्ती की सुल्तान बनीं साक्षी मलिक के कदम जैसे ही हरियाणा की धरती पर पड़े, उनका राज्य अतिथि की तर्ज पर शाही स्वागत किया गया। क्या मंत्री, क्या संतरी, परिजन हो या आमजन सभी देर रात से ही साक्षी के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए हुए थे। अपनी लाडो की एक झलक पाने को सड़कों पर लोगों का भारी हुजूम था। इसके पहले इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर साक्षी का स्वागत करने को प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों समेत परिजन व भारी संख्या में लोग देर रात से डटे थे। जैसे ही साक्षी जहाज से उतरीं, उनका जोरदार स्वागत किया गया। उसके बाद सड़क मार्ग से उनके काफिले ने हरियाणा की सीमा में प्रवेश किया। यहां राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साक्षी मलिक को ढाई करोड़ रुपये का चेक सौंपा। साथ ही उन्होंने साक्षी को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड अंबेसडर बनाने की भी घोषणा की। उन्होंने साक्षी को द्वितीय श्रेणी के अधिकारी की नौकरी का भी आफर दिया। साथ ही साक्षी की मां सुदेश को भी बाल विकास विभाग में सीडीपीओ के पद पर पदोन्नत करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने एलान किया कि प्रदेश को खेलों का हब बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रदेश में खेल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी। साक्षी के पैतृक गांव मोखरा में खेल नर्सरी की स्थापना की जाएगी। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वह खेलों में बढ़-चढ़कर भाग ले। उधर, अपने शाही सम्मान से साक्षी भी भाव विभोर थीं। उन्होंने कहा कि मेडल जीतने के बाद जिंदगी ही बदल गई है। उन्होंने पहलवान सुशील व योगेश्वर की सराहना करते हुए कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर ही वह आज इस मुकाम पर पहुंची। इन दोनों ने ओलंपिक में मेडल के रास्ते खोले। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने साक्षी के कोच मनदीप व कुलदीप को भी दस-दस लाख रुपये का चेक सौंपकर सम्मानित किया। वहां से साक्षी का काफिला ईस्माइला उनके ननिहाल पहुंचा। उसके बाद रोहतक। वहां महर्षि दयानंद विवि में उनका अभिनंदन किया गया। वहां से वह अपने पैतृक गांव मोखरा पहुंची।
के स्वागत के लिए। वह बेटी जो रियो ओलंपिक में पहले पदक की साक्षी बनी। देश की खाली झोली खुशियों से भरी और हर हरियाणावी का माथा गर्व से ऊंचा किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जाहिर है कि उस बेटी के स्वागत में हरियाणा को बिछ जाना था। बिछ भी गया। रियो में कांस्य पदक जीत कुश्ती की सुल्तान बनीं साक्षी मलिक के कदम जैसे ही हरियाणा की धरती पर पड़े, उनका राज्य अतिथि की तर्ज पर शाही स्वागत किया गया। क्या मंत्री, क्या संतरी, परिजन हो या आमजन सभी देर रात से ही साक्षी के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए हुए थे। अपनी लाडो की एक झलक पाने को सड़कों पर लोगों का भारी हुजूम था। इसके पहले इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर साक्षी का स्वागत करने को प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों समेत परिजन व भारी संख्या में लोग देर रात से डटे थे। जैसे ही साक्षी जहाज से उतरीं, उनका जोरदार स्वागत किया गया। उसके बाद सड़क मार्ग से उनके काफिले ने हरियाणा की सीमा में प्रवेश किया। यहां राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने साक्षी मलिक को ढाई करोड़ रुपये का चेक सौंपा। साथ ही उन्होंने साक्षी को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की ब्रांड अंबेसडर बनाने की भी घोषणा की। उन्होंने साक्षी को द्वितीय श्रेणी के अधिकारी की नौकरी का भी आफर दिया। साथ ही साक्षी की मां सुदेश को भी बाल विकास विभाग में सीडीपीओ के पद पर पदोन्नत करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने एलान किया कि प्रदेश को खेलों का हब बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी। प्रदेश में खेल यूनिवर्सिटी खोली जाएगी। साक्षी के पैतृक गांव मोखरा में खेल नर्सरी की स्थापना की जाएगी। उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वह खेलों में बढ़-चढ़कर भाग ले। उधर, अपने शाही सम्मान से साक्षी भी भाव विभोर थीं। उन्होंने कहा कि मेडल जीतने के बाद जिंदगी ही बदल गई है। उन्होंने पहलवान सुशील व योगेश्वर की सराहना करते हुए कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर ही वह आज इस मुकाम पर पहुंची। इन दोनों ने ओलंपिक में मेडल के रास्ते खोले। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने साक्षी के कोच मनदीप व कुलदीप को भी दस-दस लाख रुपये का चेक सौंपकर सम्मानित किया। वहां से साक्षी का काफिला ईस्माइला उनके ननिहाल पहुंचा। उसके बाद रोहतक। वहां महर्षि दयानंद विवि में उनका अभिनंदन किया गया। वहां से वह अपने पैतृक गांव मोखरा पहुंची।
स्कूल ड्रेस में चहके फूल: हरियाणा सीमा पर आयोजित कार्यक्रम में सैकड़ों स्कूली बच्चे सड़क पर खड़े होकर उनकी राह देख रहे थे। साक्षी को देखते ही हाथों में तिरंगा लिए बच्चे भी चहक उठे। साक्षी ने भी बच्चों को देखते ही गाड़ी रुकवा ली। दो मिनट तक बच्चों से मिली फिर आगे बढ़ गई।
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साभार: जागरण समाचार
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