Tuesday, August 30, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: बत्तख नहीं, समाधान खोजने वाला बाज बनें

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी़ 1: चेन्नई का कक्षा 12वीं का छात्र अद्वय रमेश(14) आपकी और मेरी तरह हैरान हो जाता कि कैसे अक्सर रामेश्वरम के मछुआरे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा पार करने की छोटी-सी गलती पर पकड़ लिए जाते हैं
और लंबे समय हिरासत में रहते हैं, जबकि समुद्री सीमा देख पाना उनके लिए संभव नहीं होता। हमारी तरह शिकायतें करने की बजाए अद्वय ने आसान जीपीएस सिस्टम बनाया, जो समुद्री सीमा के पास पहुंचने पर अलर्ट भेजता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अद्वय ने एप बनाया है- फिशरमैन लाइफलाइन टर्मिनल (एफईएलटी)। यह एंड्रॉयड एप जीपीएस से समुद्री मार्ग और लोकेशन बताने में मदद करता है। यह अलर्ट कर देता है कि वे समुद्री सीमा के पास हैं और सीमा पार करें। एप उस मार्ग को भी ट्रैक करता है जिस पर फिशिंग बोट आगे बढ़ती है। यह जलग्रहण क्षेत्र का रिकॉर्ड रखता है ताकि मछुआरे को पता हो कि लौटने के लिए सबसे अच्छा फिशिंग स्पॉट कौन-सा होगा। रिकॉर्ड समुद्र के वातावरण पर अनुसंधान करने वालों के लिए भी काम का। तूफान, चक्रवात और सुनामी में भी यह फिशिंग बोट्स को अलर्ट सिग्नल भेजता है। अद्वय का यह आविष्कार किसी भी सामान्य मोबाइल डिवाइस पर काम करता है। 
स्टोरी 2: इलायदा (15) और इजगी (15) तुर्की में रहते हैं और साथ में पढ़ते हैं। उनका शहर भूकंपों के लिए जाना जाता है, जहां कई इमारतें पुरानी हैं और वैज्ञानिकों ने अधिकारियों से अपील की है कि इन्हें ठीक किया जाए। इलायदा और इजगी ने एक सस्ता तरीका खोजा है, जिसके जरिये शहर में मौजूद पुरानी इमारतों को ठीक किया जा सकता है। यह एल्यूमीनियम केन्स पर आधारित है, जिसका परंपरागत कॉन्क्रीट की दीवारों में आसानी से उपयोग हो सकता है। इससे उनकी मजबूती 32 से 61 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। इन विद्यार्थियों को उम्मीद है कि डिजाइन से उनके लोगों की जिंदगी पहले के मुकाबले सुरक्षित बनेगी। 
स्टोरी 3: किआरा (16) दक्षिण अफ्रीका के जोहानीसबर्ग में रहती है। आसपास के देशों की तरह यह भी 20 वर्षों के सबसे भीषण सूखे से गुजर रहा है। किआरा को लगता है कि पानी की लंबे समय की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी ऐसे पदार्थ की जरूरत है, जिसमें अपने वजन की तुलना में सैकड़ों गुना पानी संग्रहण की क्षमता हो। किआरा ने सामान्य संतरे के छिलके में ऐसा आदर्श पदार्थ खोजा है, जो किफायती भी साबित होगा। उसने इसे एवोकेडो (नाशपति जैसा एक फल) के छिलके की मदद से वॉटर स्टोरेज बनाने में सफलता हासिल की है, जो मिट्‌टी के कणों में नमी की मौजूदगी बढ़ाएगा। इससे किसान कम लागत पर जलसंग्रह कर सकेंगे। किआरा को उम्मीद है कि यह कम लागत वाला मटिरियल ज्यूस मेन्यूफेक्चरिंग वेस्ट को तो घटाएगा ही, पानी और पैसा बचाने में स्थानीय किसानों की मदद भी करेगा। कियारा भारतीय कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामिनाथन को अपना हीरो मानती है। 
ये सभी एशिया प्रशांत क्षेत्र से गूगल साइंस फेयर कम्यूनिटी इम्पेक्ट अवॉर्ड 2016 पाने वालों में शामिल हैं। पुरस्कार इस साल 27 सितंबर को प्रदान किए जाएंगे। इन्हें 10 हजार डॉलर की फंडिंग मिलेगी और एक साल के लिए साइंटिफिक अमेरिका से मेंटरशिप भी। गूगल साइंस फेयर एक ऑनलाइन साइंस कम्पिटिशन है, जिसमें दुनियाभर के 13 से 18 साल के बच्चे शामिल होते हैं। उनसे उम्मीद होती है कि वे एक परिकल्पना लाएं, प्रयोग करें और समाधान दें। हर साल इस फेयर में किशोर इनोवेटिव आइडिया सामने लाते हैं, जो ग्लोबल समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। बत्तख होने का क्या फायदा। वे शिकायती स्वर निकालते रहते हैं। बाज बनना बेहतर है। वह भीड़ से ऊपर उठता है। उसके सामने व्यापक दृश्य होता है और परिस्थिति के अनुसार रास्ता बदलता है। 
फंडा यह है कि आप बतख बनकर शिकायत करते रह सकते हैं या बाज बनकर समाधान खोज सकते हैं और आप पर ही निर्भर है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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