Thursday, August 25, 2016

कानून और अधिकार: कॉपीराइट कानून उल्लंघन पर 3 साल तक की सजा

नंदिता झा (हाईकोर्ट एडवोकेट, नई दिल्ली)
अभी कुछदिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने साकेत बार एंड रेस्तरां पर बिना रॉयल्टी दिए बॉलीवुड के गायकों के गाने सुनाने पर रोक लगा दी। साथ ही कहा कि इंडियन सिंगर्स राइट्स एसोसिएशन से अनुमति लिए बगैर साकेत बार इनके गाने बजाए। इस प्रकार गायकों के कॉपीराइट अधिकार से जड़ा हुआ यह एक महत्वपूर्ण फैसला है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने निर्णय में कहा कि एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा गाए गानों को बिना अनुमति के बजाना उनके रॉयल्टी पाने के अधिकार का अतिक्रमण है। इन कलाकारों को 50 वर्ष तक रॉयल्टी का अधिकार है। कॉपीराइट एक्ट के सेक्शन 38 (ए) के अनुसार गायकों को अधिकार है कि जितनी बार उनके गाए गाने व्यवसाय के तौर पर बजाए जाएं उसके लिए गायकों को उचित रॉयल्टी मिले (उस फिल्म को छोड़कर जिसमें गाना है, उसे दिखाया जा रहा है)। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उच्च न्यायालय ने वादी एसोसिएशन के रॉयल्टी पाने के अधिकार से सहमति जताई और कॉपीराइट अधिकार को पूर्ण मान्यता दी। ध्यान देने योग्य बात है कि एसोसिएशन इस प्रकार के कामों के लिए रॉयल्टी के तौर पर बहुत कम शुल्क लेता है। 
एसोसिएशन पहली कॉपीराइट सोसायटी है, जिसका केंद्र सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन किया गया है। इस संस्था का निर्माण करने वालों में प्रमुख हैं, सुविख्यात गायक और गायिकाएं- लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, सुरेश वाडकर, पंकज उधास, सोनू निगम आदि। प्रत्येक सदस्य ने अपने रॉयल्टी पाने के अधिकार का डीड साइन किया है, जो सेक्शन 38 (ए) के अंतर्गत है। कॉपीराइट सोसायटियों के रजिस्ट्रीकरण के बारे में अध्याय 7 में प्रावधान दिए हैं तथा रजिस्ट्रीकरण की यह शक्तियां भारत सरकार को प्रदान की गई हैं। सेक्शन 33 में बताया गया है कि कॉपीराइट के स्वामी चाहें तो कॉपीराइट सोसायटी बना सकते हैं। इसमें कम से कम सात सदस्य होने चाहिए। ये सदस्य सामूहिक रूप से कॉपीराइट के प्रबंधन का कार्य देखेंगे। ये सदस्य अधिकार संबंधी लाइसेंस दे सकते हैं। इसके बदले फीस लेते हैं। फीस कॉपीराइट स्वामियों के बीच बंटती है। उदाहरण के तौर पर ये कुछ प्रमुख रजिस्टर्ड सोसायटीज हैं- इंडियन सिंगर्स राइट एसोसिएशन, सोसायटी फॉर कॉपीराइट रेगुलेशन ऑफ इंडियन प्रोड्यूसर ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन, इंडियन परफॉर्मिंग आर्ट सोसायटी आदि। कॉपीराइट का उल्लंघन क्या है, इसे आम आदमी भी समझना चाहता है। बिना अनुमति किसी और के स्वामित्व वाली रचना, कृति को प्रकाशित करना, उसका लाभ लेना। सार्वजनिक स्थानों पर अपने व्यावसायिक लाभ के लिए कृति को दिखाना, सुनाना आदि इसमें आते हैं। 
1957 में कॉपीराइट अधिनियम बनाकर, कॉपीराइट की रक्षा के लिए इस कानून को देशभर में लागू किया गया। कॉपीराइट अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कॉपीराइट रखने, नए निर्माण से रक्षा करने, लोगों द्वारा अवैध लाभ प्राप्त करने की मंशा को विराम देना है। मद्रास हाईकोर्ट ने एसआर जयलक्ष्मी बनाम मेटा म्यूजिकल केस में निर्धारित किया कि किसी व्यक्ति के कार्य, श्रम एवं कौशल की अन्य व्यक्तियों द्वारा नकल करने से रोकना इसका मूल उद्‌देश्य है। बॉम्बे हाईकोर्ट के एक अन्य फैसले ने कॉपीराइट के अधिकारों का अन्य व्यक्तियों द्वारा अप्राधिकृत उपयोग किए जाने पर रोक लगाई तथा संरक्षण देने का कार्य किया। कॉपीराइट के उल्लंघन पर सामान्य तौर पर नजदीकी थाने में शिकायत लिखी जाती है। 
धारा 63 के अंतर्गत कॉपीराइट के जानबूझकर उल्लंघन के लिए दुष्प्रेरणा को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इसके लिए दोषी को न्यूनतम 6 माह कारावास एवं पचास हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। अधिकतम सजा तीन वर्ष के कारावास और दो लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। धारा 71 में मजिस्ट्रेट के आदेशों के विरुद्ध अपील के बारे में प्रावधान दिए हैं। ऐसे आदेश की तारीख से एक माह के अंदर ऊपरी न्यायालय मं अपील की जा सकती है। 
फैक्ट कॉपीराइट रजिस्ट्रार के किसी भी आदेश के विरोध में तीन माह के भीतर कॉपीराइट बोर्ड में अपील किए जाने का प्रावधान है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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