जम्मू-कश्मीर में कायम असामान्य स्थिति से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती दुविधा और असमंजस में दिखने लगी हैं। एक दिन पहले तक अलगाववादियों और पाकिस्तान को कड़ा संकेत देने वाली महबूबा अब चाहती है उनसे बात हो। लेकिन यह यू टर्न न दिखे, लिहाजा दूसरे ही पल पाकिस्तान की नीतियों की आलोचना करने से भी नहीं
चूक रही हैं। उन्होंने पूरे संकट के लिए पाकिस्तान को दोषी भी ठहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगभग एक घंटे तक हुई चर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से कहा गया कि महबूबा ने समस्या के निदान के लिए पीएम के समक्ष त्रिस्तरीय कार्ययोजना पर काम करने की बात रखी। इसमें वाजपेयी की नीति के मुताबिक एक वार्ताकार समिति की नियुक्ति का भी सुझाव है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह सब कुछ तब हो रहा है, जब केंद्र सरकार कश्मीर में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी में जुटी है। प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान महबूबा ने कहा कि कश्मीर में अमन के लिए त्रिस्तरीय फामरूले पर काम करना चाहिए, जिसमें अलगाववादियों के साथ ही पाकिस्तान से भी बातचीत हो जबकि सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि संविधान के दायरे में ही बातचीत होगी और पाकिस्तान से केवल गुलाम कश्मीर पर ही वार्ता होगी। ऐसे में महबूबा मुफ्ती की ताजा मांग केंद्र सरकार को असहज कर सकती है। खासतौर पर तब जबकि पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने भी इसे रंग देते हुए आशा जताई कि भारत-पाक के बीच वार्ता होगी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पाक से किसी भी वार्ता से इन्कार किया। महबूबा मुफ्ती का असमंजस इतना स्पष्ट दिखा कि वह जहां पाकिस्तान के रुख पर एतराज जताती रहीं, वहीं सभी पक्षों से बातचीत की वकालत भी करती रहीं जबकि जम्मू-कश्मीर में उनकी पार्टी पीडीपी ने हुर्रियत नेता से अपील की कि वह महबूबा को एक अवसर दें। बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वस्त किया है कि राष्ट्रहित और संविधान को ध्यान में रखते हुए हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा। वह कश्मीर मे जल्द शांति बहाली चाहते हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की महबूबा मुफ्ती ने जमकर तारीफ भी की।
कृपया ऐसे लोगों का एक समूह नियुक्त करें, जिन पर कश्मीरियों को भरोसा हो, ताकि उनकी बातें दिल्ली तक पहुंच सकें।-महबूबा मुफ्ती
महबूबा के अनुसार, उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि ऐसे लोगों की एक समिति बनाई जाए, जिन पर कश्मीर के लोगों को भरोसा हो, यह समिति सभी संबंधित पक्षों से खुले दिमाग के साथ बातचीत करे। इसी बहाने उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति की भी याद दिलाई। वाजपेयी ने वार्ताकारों के जरिये मामले को सुलझाने की जो नीति बनाई थी, वही इस मसले को सुलझाने में कारगर होगी। उन्होंने लगे हाथ अपने स्वर्गीय पिता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बयान भी याद दिला दिया। इसमें उन्होंने कहा था कि कश्मीर मामले का हल अगर निकल सकता है तो उसी प्रधानमंत्री के कार्यकाल में जिसे दो-तिहाई बहुमत हासिल हो।
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साभार: जागरण समाचार
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