विद्यालय के भारी बस्ते से छोटे बच्चे किस कदर परेशान हैं, इसकी एक बानगी महाराष्ट्र के चंद्रपुर में देखने को मिली। बस्ते के बोझ से तंग जिले के विद्या निकेतन स्कूल में सातवीं कक्षा के दो छात्रों ने भूख हड़ताल करने की धमकी दी है। इन छात्रों ने स्थानीय प्रेस क्लब में मीडिया से अपना दर्द साझा करने के दौरान यह चेतावनी दी।
दरअसल, मंगलवार को चंद्रपुर प्रेस क्लब में जुटे पत्रकार तब अचंभित रह गए, जब उक्त स्कूल के दो छात्र आए और भारी बस्ते के कारण रोजाना होने वाली कठिनाइयों पर प्रेस कांफ्रेंस की इच्छा जाहिर की। ये बच्चे 12 साल के आसपास हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। छात्रों ने कहा, हमें रोजाना आठ विषयों की 16 किताबें स्कूल ले जानी पड़ती हैं। कई बार यह संख्या 18 से 20 तक हो जाती है। हमारा बस्ता पांच से सात किलो का होता है। उसे तीसरी मंजिल पर स्थित कक्षा तक ले जाना बहुत तकलीफदेह है। छात्रों ने बताया, हमारी रोजाना हर विषय की आठ कक्षाएं होती हैं। हम प्रत्येक विषय की किताबें ले जाते हैं। इसके अलावा कभी-कभी कुछ अन्य किताबों को भी ले जाने की जरूरत पड़ती है। छात्रों ने कहा कि उन्होंने प्रधानाचार्य को बस्ते का बोझ कम करने के लिए एक-दो बार प्रार्थना पत्र भी दिया, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। विद्यालय प्रबंधन की ओर से किसी भी संभावित अनुशासनात्मक कार्रवाई पर दोनों छात्रों ने कहा, यह हमारी मांग है। किसी अन्य की समस्या का हमें पता नहीं है। यदि विद्यालय ने उनकी शिकायत का निवारण नहीं किया, के सवाल पर वे बोले, अपनी मांगें पूरी होने तक हम भूख हड़ताल पर रहेंगे।
हाई कोर्ट ने जारी किए हैं निर्देश: मुंबई हाई कोर्ट ने 2016 की शुरुआत में एक समिति की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार को स्कूली बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे। वहीं, प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को बताया था कि उसने प्रधानाचार्यो और विद्यालय प्रबंधनों पर इनका पालन कराने की जवाबदेही तय की है। दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करने वालों पर कार्रवाई होगी। सरकारी वकील के मुताबिक, सूबे के करीब 1.06 लाख विद्यालय इन निर्देशों का पालन करने को बाध्य हैं।
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साभार: जागरण समाचार
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