प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान की लक्ष्मण रेखा तय कर दी है। सरकार घाटी के लोगों की शिकायतें सुनने और उन्हें दूर करने के लिए तैयार है, लेकिन यह बातचीत सिर्फ संविधान के दायरे में
ही होगी। संकेत साफ है कि बातचीत में पाक पोषित अलगाववादियों के लिए कोई जगह नहीं होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि राज्य के सभी राजनीतिक दलों को आम लोगों तक पहुंचना चाहिए, ताकि वे पाक परस्त अलगाववादियों के बहकावे में नहीं आएं। वहीं श्रीनगर में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी ताजा हालात के लिए पांच फीसदी लोगों को दोषी ठहराते हुए 95 फीसदी जनता से संवाद कायम पर जोर दिया है। जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल के साथ सोमवार को मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने कश्मीर में जारी हिंसक घटनाओं पर दुख जताया और कहा कि वह इस दौरान हुई मौतों से व्यथित हैं। ताजा हालात के राजनीतिक समाधान के लिए सभी पक्षों से बातचीत शुरू करने के प्रतिनिधिमंडल के सुझाव को स्वीकार करते हुए उनका कहना था कि हमें संविधान के दायरे में समस्या का स्थायी हल खोजना होगा। उनकी सरकार और पूरा देश जम्मू एवं कश्मीर के लोगों के साथ है।
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साभार: जागरण समाचार
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