प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में अलगाववादियों को कड़ा संदेश दिया है। रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा कि घाटी में अशांति फैलाने के लिए छोटे-छोटे बच्चों का इस्तेमाल करने वालों को इसका जवाब देना होगा। उन्होंने ‘एकता और ममता’ को कश्मीर समस्या के समाधान का मूलमंत्र बताया। प्रधानमंत्री
ने कश्मीर समस्या के समाधान को लेकर सभी राजनीतिक दलों के बीच मतैक्य की सराहना की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के संबोधन से साफ हो गया है कि सरकार पत्थर चलाने वाले बच्चों को निदरेष मानती है और उनके साथ ममत्व का व्यवहार करना चाहती है। लेकिन पाकिस्तान पोषित अलगाववादियों से वह उतनी ही सख्ती से निपटेगी। लेकिन अलगाववादियों के खिलाफ कार्रवाई से पहले राजनीतिक दलों और आम जनता को अलगाववाद के खिलाफ एकजुट कर लेना चाहती है। कश्मीर के विपक्षी नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने सभी पार्टियों से आम जनता के बीच जाने को कहा था। इसके साथ ही अगले हफ्ते सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजकर सरकार घाटी को संदेश देना चाहती है कि दुख की इस घड़ी में पूरा देश उनके साथ है। लेकिन सीमा पार की साजिशों को नाकाम करने में उनका साथ जरूरी है। युवाओं को ढाल बनाकर साजिश रचने वाले अलगाववादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए जांच एजेंसियां अलगाववादियों को पाकिस्तान से मिलने वाली सहायता की जांच में जुटी हैं। एजेंसियां विदेशी मदद को पूरी तरह से रोकने की कोशिश कर रही हैं। वहीं सुरक्षा एजेंसियां पत्थर फेकने के लिए युवाओं को उकसाने वालों की पहचान कर राज्य पुलिस को इनके खिलाफ कार्रवाई की हिदायत दे चुकी हैं। कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत के लिए बढ़ते दबाव के बावजूद सरकार उन्हें घाटी की आम जनता के सामने बेनकाब करने के मूड में है।
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साभार: जागरण समाचार
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