बच्चों को रोजाना सिर्फ एक चम्मच नमक की ही जरूरत होती है, लेकिन दुलार करते हुए कभी हम उसे एक बर्गर या एक पैकेट चिप्स खिला देते हैं या कभी एक छोटी कटोरी में नमकीन या भुजिया दे देते हैं। इनमें इतनी मात्रा में नमक होता है कि दिनभर की नमक की आधी से ज्यादा जरूरत पूरी हो जाती है। दरअसल हमारे बच्चे रोजाना की जरूरत से ज्यादा नमक खाने लगे हैं और इसका उपयोग लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2000 में हमारे देश में एक सामान्य बच्चा रोजाना 9 ग्राम नमक खाता था। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। और दस सालों में यानी 2010 में एक बच्चा
औसतन 12 ग्राम नमक खाने लगा है। मतलब पहले की तुलना में 3 ग्राम यानी 33 प्रतिशत ज्यादा। जबकि उसकी रोजाना की जरूरत की पूर्ति तो सिर्फ 2 ग्राम नमक से ही हो जाती है। यानी हमारे बच्चे उनकी जरूरत से छह गुना ज्यादा नमक खाने लगे हैं। केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित वर्किंग ग्रुप की ओर से सरकार को हाल ही में सौंपी गई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। इसी रिपोर्ट के आधार पर अब फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) उन प्रोडक्ट्स की सूची तैयार कर रहा है, जिनमें बड़ी मात्रा में नमक, चीनी और वसा होते हैं। इसका मकसद स्कूली बच्चों को ये चीजें खाने से रोकना है।
विभिन्न शोधों से साफ होने लगा है कि रोजाना बच्चे जरूरत से ज्यादा नमक ले रहे हैं। केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार स्कूल जाने वाले लगभग 40 प्रतिशत बच्चे रोजाना कैन्टीन से स्नैक्स खाते हैं और स्नैक्स में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। ये बच्चे पिज्जा या बर्गर ही ज्यादा खाते हैं। दिल्ली में पढ़ने वाले 60-70 फीसदी बच्चे दो-तीन पैकेट चिप्स हर रोज खाते हैं। भारत में जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ (जीआईजीएच) के प्रमुख डॉ. विवेकानंद झा का कहना है कि बच्चों में नमक पर नियंत्रण इस वक्त की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हाल ही हमने दस देशों में बिकने वाले सबसे पॉपुलर नूडल्स में नमक की मात्रा पर शोध किया है। भारत में बिकने वाले टॉप ब्रांड के 100 ग्राम के नूडल्स पैकेट में ही लगभग 1.77 ग्राम नमक मौजूद होता है। सरल भाषा में आप समझिए कि एक बच्चे के लिए पूरे दिन में जरूरी नमक का कोटा मात्र एक पैकेट नूडल्स से ही पूरा हो जाता है। अब जरा सोचिए कि एक बच्चा पूरे दिन में नूडल्स के अलावा क्या-क्या खाता है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंिडया की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. श्वेता खंडेलवाल कहती हैं कि बच्चों को रोजाना 1500-2300 मिलीग्राम नमक की ही जरूरत होती है। यह जरूरत सिर्फ एक चम्मच से पूरी हो जाती है। एक छोटी कटोरी नमकीन या भुजिया से बच्चे की 50 फीसदी जरूरत पूरी हो जाती है। फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल की चीफ डायटिशियन किरण दलाल का कहना है कि इसे गंभीरता से लेने की जरूरत इसीलिए है क्योंकि यही बढ़ती उम्र में हाइपरटेंशन, डायबिटीज और दिल की बीमारियों का मुख्य कारण बनता है।
हालांकि अभी भी देश में बच्चों के लिए नमक सेवन पर कोई ठोस दिशा-निर्देश नहीं है। लेकिन घर में पका खाना खिलाने की आदत से बच्चों को भविष्य में बीमारियों से बचाने में मदद मिल सकती है। मां-बाप को पांच साल की उम्र से बड़े बच्चों को पैकेज्ड फूड और फास्ट फूड की लत से दूर रखने की कोशिश शुरू कर देना चाहिए।
दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मेडकल पत्रिकाओं में से एक दि न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसीन में छपे एक शोध के अनुसार रोजाना 2 ग्राम नमक से ज्यादा खाने वाले लोगों में दिल से संबंधित बीमारियों से मौत की आशंका 50 प्रतिशत ज्यादा होती है। इसी तरह जरनल ऑफ मेडिकल हार्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ज्यादा नमक खाने वालों में ब्लडप्रेशर से प्रभावित होने के 25 फीसदी आशंका होती है। शोध में यह भी कहा गया है कि 2 ग्राम से ज्यादा नमक 25 प्रतिशत हाईपरटेंशन की आशंका भी बढ़ा देता है।
इसी तरह ब्रिटेन की ब्रिटिस मेडिकल जरनल का कहना है कि जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन 16 फीसदी स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती है।
दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मेडकल पत्रिकाओं में से एक दि न्यू इंग्लैंड जरनल ऑफ मेडिसीन में छपे एक शोध के अनुसार रोजाना 2 ग्राम नमक से ज्यादा खाने वाले लोगों में दिल से संबंधित बीमारियों से मौत की आशंका 50 प्रतिशत ज्यादा होती है। इसी तरह जरनल ऑफ मेडिकल हार्ट में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ज्यादा नमक खाने वालों में ब्लडप्रेशर से प्रभावित होने के 25 फीसदी आशंका होती है। शोध में यह भी कहा गया है कि 2 ग्राम से ज्यादा नमक 25 प्रतिशत हाईपरटेंशन की आशंका भी बढ़ा देता है।
इसी तरह ब्रिटेन की ब्रिटिस मेडिकल जरनल का कहना है कि जरूरत से ज्यादा नमक का सेवन 16 फीसदी स्ट्रोक का खतरा बढ़ा देती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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