हरियाणा सरकार कलेक्टर रेट पर नहीं, बल्कि मार्केट रेट से 20% ज्यादा दाम पर जमीन एक्वायर करेगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सोमवार को विधानसभा में यह बात कही। वह इनेलो विधायक परमिंदर सिंह ढुल के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। प्रश्नकाल में ढुल ने नई बवाना माइनर का बराड़ एलआई तक विस्तार करने के
संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इसके जवाब में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने जमीन की अनुपलब्धता का हवाला दिया तो ढुल बोले- वे जमीन दिलाने को तैयार हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने बयान दे दिया था, जिससे दिक्कत रही है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सीएम ने कहा था कि सरकार पॉलिसी के तहत नहीं, बल्कि कलेक्टर रेट से 20% ज्यादा पर जमीन लेना चाहती है। अगर सरकार 50% ज्यादा दे तो वे जमीन उपलब्ध कराने को तैयार हैं।
इसपर सीएम खट्टर ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कलेक्टर रेट नहीं, बल्कि मार्केट रेट से 20 प्रतिशत ज्यादा पैसा देने की बात कही थी। सामान्य तौर पर कलेक्टर रेट कम होता है, जबकि मार्केट रेट ज्यादा होता है। इस पर विपक्ष के नेता अभय चौटाला ने जानना चाहा कि मार्केट रेट तय करने का आधार और फार्मूला क्या रहेगा। ज्यादातर जगहों पर कलेक्टर रेट को ही मार्केट रेट माना जाता है। इस पर सीएम ने स्पष्ट किया कि इसके लिए स्थानीय स्तर पर एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी लोगों से बात करके वहां की मार्केट रेट तय करेगी। इस पर विपक्ष की ओर से दावा किया गया कि कई शहर ऐसे हैं जहां मार्केट रेट अगर 12000 रुपए है तो कलेक्टर रेट 18000 रुपए है। ऐसे मामलों में क्या होगा। इसके जवाब में सीएम खट्टर ने स्पष्ट किया कि अगर कहीं इस तरह की समस्या है तो शिकायत मिलने पर उसे ठीक करवाया जाएगा।
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साभार: भास्कर समाचार
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