हरियाणा में पिछले 12 साल से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत ठेके पर काम करने वाले करीब 10 हजार कर्मचारियों को नियमित होने की आस बंधी है। एनएचएम के डायरेक्टर के पिछले दिनों करीब 20 फीसद कर्मचारियों की छंटनी के आदेशों के बाद इन कर्मचारियों के नियमित होने का रास्ता खुला है। इससे
पहले उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और हिमाचल में एनएचएम कर्मचारियों को पक्का किया जा चुका है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कर्मचारियों की छंटनी संबंधी कोई आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया था, जिसके बाद निदेशक को कहना पड़ा कि उनके आदेश छंटनी के नहीं बल्कि रेशनेलाइजेशन के थे। विज एनएचएम के निदेशक के इन आदेशों की जांच के लिए अड़ गए थे, जिसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जांच की स्वीकृति प्रदान कर दी। वहीं अब इन कर्मचारियों के नियमित होने की आस बंध गई है। स्वास्थ्य महकमे में कर्मचारी लगातार कम होते जा रहे हैं। नई भर्ती में देरी की वजह से डाक्टरों की रिटायरमेंट आयु 58 साल से बढ़ाकर 65 साल की जा चुकी है। एनएचएम में 2004 से 10 हजार कच्चे कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनमें नर्सिग स्टाफ, बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कर्मचारी (महिला एवं पुरुष), चपरासी, लिपिक, चालक और डाटा एंट्री आपरेटर के साथ-साथ डाक्टर भी शामिल हैं। पिछली हुड्डा सरकार में इन कर्मचारियों को यह कहकर नियमित नहीं किया गया कि एनएचएम केंद्र सरकार की परियोजना है और किसी भी समय बंद हो सकती है। अब मनोहर सरकार इन कर्मचारियों को नियमित कर दोहरा लाभ उठाने की तैयारी में है। यदि कर्मचारी पक्के होते हैं तो सरकार के प्रति उनका भरोसा बढ़ेगा।
पिछली सरकार में अफसरों ने डाल दिया था अड़ंगा: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के महासचिव सुभाष लांबा ने कहा कि भाजपा सरकार इन कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की औपचारिकता न निभाएं। उन्हें काम करते हुए 12 साल हो गए और उनकी भर्ती कभी विवादित नहीं रही। इसलिए पूरी ईमानदारी से उन्हें नियमित करने की प्रक्रिया अमल में लाई जाए।
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साभार: जागरण समाचार
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