राजस्थानके सरकारी हॉस्टलों में बच्चों की जाति बदलते ही भूख की कीमत भी बदल जाती है। कहीं 250 रु. महीने में बच्चे का पेट भर जाता है तो कहीं 2500 रु. में। इसका एक उदाहरण है कोटा में श्रीपुरा का मल्टीपरपज स्कूल। यहां एससी, एसटी हॉस्टल में अनुसूचित जाति के छात्रों को हर महीने 900 रु. भोजन भत्ते के मिलते हैं,
वहीं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को 700 रु. महीने मिल रहे हैं। इधर जवाहर लाल नेहरु हॉकी हॉस्टल में हर साल कक्षा 6 से 12वीं तक के 20 बच्चों का सलेक्शन होता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। चयन के बाद शहरी छात्रों को 250, जिले के बाहर के छात्रों को 1250 और देहात के स्टूडेंट्स को 1 हजार रु. महीना मिलता है। वोकेशनल स्कूल फुटबॉल हॉस्टल में 100 रु. प्रति स्टूडेंट डाइट खर्च रोजाना मिलता है। यहां कक्षा 9 से 12वीं के 20 स्टूडेंट्स रहते हैं। इस बजट में एक टाइम आधा लीटर दूध और सुबह-शाम को खाना मिलता है। इसी तरह कस्तूरबा गांधी आवासीय हॉस्टल में एसटी, एससी, ओबीसी, निराश्रित, बीपीएल कैटेगरी की प्रति छात्रा को 1800 रु. हर माह मिलते हैं, जो डाइट के अलावा अन्य व्यय में खर्च किया जाता है। माध्यमिक शिक्षा के डीईओ राधेश्याम शर्मा कहते हैं कि महंगाई के दौर में बजट बहुत ही कम है। निदेशालय को बजट राशि बढ़ाने के लिए कई बार लिख दिया है। इस बार भी हॉस्टल्स में छात्रों के लिए बजट बढ़ाने का प्रस्ताव भिजवाया है।
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साभार: भास्कर समाचार
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