बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को मूर्तरूप देने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने की ऐतिहासिक घड़ी निकट आ गई है। लंबे अरसे से संसद में लंबित पड़े इस 122वें संविधान संशोधन विधेयक को सरकार बुधवार को पारित होने के लिए राज्यसभा में रखेगी। माना जा रहा है कि मुख्य मांगें
स्वीकार होने के बाद कांग्रेस ऊपरी सदन में जीएसटी की राह नहीं रोकेगी। इस बीच सरकार ने राज्यों तथा विभिन्न दलों के साथ हुए परामर्श के बाद इस विधेयक में प्रस्तावित बदलाव आधिकारिक संशोधनों के रूप में राज्य सभा सचिवालय को सौंप दिए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राज्य सभा इस विधेयक में जिन महत्वपूर्ण बदलावों को मंजूरी देगी उनमें एक प्रतिशत अतिरिक्त कर के प्रस्ताव को विधेयक से हटाने तथा जीएसटी लागू होने पर राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक भरपाई का वैधानिक प्रावधान करना शामिल है। जीएसटी का विचार वर्ष 2006-07 के आम बजट में आया था और उस समय इसे एक अप्रैल 2010 से लागू करने का लक्ष्य भी रखा गया लेकिन राजनीतिक तौर पर आम सहमति न बनने के कारण इसे लागू करने की तारीख बार-बार आगे खिसकती गई। सरकार ने फिलहाल इसे एक अप्रैल 2017 से लागू करने का लक्ष्य रखा है। जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों के कई परोक्ष कर समाप्त हो जाएंगे।
जीएसटी के लिए जरूरी 122वां संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा मई 2015 में पारित कर चुकी है। इसके बाद यह विधेयक राज्य सभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया। प्रवर समिति ने जुलाई 2015 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी। तब से यह विधेयक राज्य सभा की मंजूरी के लिए इंतजार कर रहा था। अब राज्यसभा से पारित होने के बाद से आधे राज्यों के विधानमंडल से भी पारित कराना जरूरी होगा। इस तरह यह संविधान संशोधन मंजूर होने के बाद जीएसटी लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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साभार: जागरण समाचार
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